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      || राम नाम सत्य है ||

      नमस्कार मित्रों,

      एक समय कि बात है, जब तुलसीदास अपने गांव में रहते थे। वह हमेशा राम की भक्ति में लिप्त रहते थे। उनको घर वालों ने और गांव वालों ने ढोंगी कह कर घर से बाहर निकाल दिया, तो तुलसीदास गंगा जी के घाट पर रहने लगे। वही प्रभु की भक्ति करने लगे।

      जब तुलसीदास रामचरितमानस की रचना शुरू कर रहे थे, उसी दिन उसके गांव में एक लडके की शादी हुई, और वो लडका अपनी नववधु को लेकर अपने घर आया। रात को किसी कारण वश उस लडके की मृत्यु हो गई।

      लडके के घर वाले रोने लगे। सुबह होने पर सब लोग लडके को अर्थी पर सजाकर शमशान घाट ले जाने लगे, तो उस लडके की पत्नी भी सती होने की इच्छा से अपने पति की अर्थी के पीछे पीछे जाने लगी।

      लोग उसी रास्ते से जा रहे थे, जिस रास्ते में तुलसीदास जी रहते थे। लोग जा रहे थे तो लडके की पत्नी की नजर तुलसीदास जी पर पडी। उस नववधु ने सोचा अपने पति के साथ सती होने जा रही हूँ, एक बार इस ब्राह्मण देवता को प्रणाम कर लेती हूँ वह नववधु नहीं जानती थी, कि ये तुलसीदास जी है।

      उसने तुरंत तुलसीदास को पैर छुकर प्रणाम किया तुलसीदास ने उसे अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया तब  सब लोग हँसने लगे, और बोले – तुलसीदास हम तो सोचते थे, तुम पाखंडी हो, लेकिन तुम तो बहुत बडे मूर्ख भी हो इस लडकी का पति मर चुका है। 

      यह अखण्ड सौभाग्यवती कैसे हो सकती है……सब बोलने लगे, तू भी झुठा, तेरा राम भी झुठा। तुलसीदास जी बोले, हम झुठे हो सकते हैं, लेकिन मेरे राम कभी भी नहीं झुठे हो सकते है। सबने बोला, तब प्रमाण दो।

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      तुलसीदास जी ने अर्थी को रखवाया, और उस मरे हुये लडके के पास जाकर उसके कान में बोला – राम नाम सत्य है। ऐसा एक बार बोला तो लडका हिलने लगा। दूसरी बार फिर बोला तुलसीदास जी ने लडके के कान में – राम नाम सत्य है लडका थोडा सचेत हुआ।

      तुलसीदास जी ने फिर तीसरी बार उस लडके के कान में बोला- राम नाम सत्य है तो मृतक लडका अर्थी से नीचे उठ कर बैठ गया। सभी को बहुत आश्चर्य हुआ, कि मृतक कैसे जीवित हो सकता है। सबने तुलसी दास को सिद्ध सन्त मान लिया। तुलसीदास जी के चरणों में दण्डवत प्रणाम करके माफी मांगने लगे।

      तुलसीदास जी बोले, अगर आप लोग यहाँ इस रास्ते से नहीं जाते, तो मेरे राम के नाम को सत्य होने का प्रमाण कैसे मिलता ये तो सब हमारे राम की लीला है उसी दिन से मृतक के पीछे राम नाम सत्य है बोलने की प्रथा चल पड़ी!!

      लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रों.

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