जिज्ञासा
शोषण, बलात्कार, पीडा क्या, कभी लिखेंगे लोग।
धेनु वंश भोजन पीडा कब, सभी लिखेंगे लोग।।
ब्राह्मण, धेनु, गंग, कन्या अपमानित इस युग मे,
घुटके ये सब हो समाप्त, क्या तभी लिखेंगे लोग।।
चढते सूरज की यश गाथा, यहाँ लिखेंगे लोग।
चाटुकारिता निज फायदा हित, कथा लिखेंगे लोग।।
सत्य छिपा झूठी खबरों से चढे बुलंदी पे,
और ख्वाब मे स्वर्ग से बढके, जहां लिखेंगे लोग।।
जहाँ पे जन्मे उसी वतन, बिपरीत लिखेंगे लोग।
और पडोसी दुश्मन हित, नवनीत लिखेंगे लोग।।
खाते जहाँ उसी पे भौके मस्त मलंग दिवाने,
ऐसे जयचंदो पे भी क्या गीत लिखेंगे लोग।।
लेखक
राकेश तिवारी
“राही”
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