More
    28.3 C
    Delhi
    Monday, October 7, 2024
    More

      वेदव्यास: ज्ञान और वंश की गाथा | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      नमस्कार मित्रों,

      कृष्ण दैपायन व्यास का जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था। माना जाता है कि इनके जन्म से पूर्व 28 व्यास उत्पन्न हो चुके थे जो अपनी विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। इन्होंने सर्वप्रथम चारों वेदों का सम्पादन किया था और इस कार्य से इनका नाम महर्षि वेदव्यास पड़ा। 

      इन्होंने 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद्भागवतम्‌  का सृजन किया था। इन्होंने दत्तात्रेय को भी दीक्षित किया जो गुरुओं के गुरु कहलाते हैं। महर्षि पराशर भारतीय ज्योतिष के पितामह थे। 

      उन्होंने पाराशर होरा तथा पाराशर स्मृति जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे, जिनका आधुनिक ज्योतिष में भी उपयोग होता है। एक बार महर्षि पराशर ने गणना की कि यदि उनके द्वारा शोधित कालांश में कोई स्त्री गर्भ धारण करे तो उसका पुत्र विष्णु के सामान प्रतिभाशाली होगा।

      पराशर इस क्षण को व्यर्थ नहीं करना चाहते थे। यमुना नदी में नाव चलाने वाले एक मछुआरे ने इस कार्य के लिए महर्षि को अपनी वयस्क पालित कन्या प्रस्तुत कर दी। वह कन्या चेदी राज वसु और मत्स्य-अप्सरा अद्रिका की संतान थी, जिसे राजा ने मत्स्यगंधा होने के कारण उस मछुआरे को दे दिया था। 

      उस कन्या का नाम सत्यवती था। उस अविवाहित कन्या सत्यवती ने महर्षि पराशर के साथ प्रसन्नता पूर्वक सहवास किया और कृष्ण दैपायन व्यास का जन्म हुआ। ऋषि ने प्रसन्न होकर उस मछलियों की गंध से भरी स्त्री को अद्भुत पुष्पगंध दे दी जो मीलों तक फैलती थी।

      इस गुण के कारण ही सत्यवती योजनगंधा कहलायी। सत्यवती की सुंदर गंध से आकृष्ट होकर हस्तिनापुर के राजा शांतनु उस पर मोहित हो गए और विवाह का प्रस्ताव किया। सत्यवती ने शर्त रखी कि यदि उसका पुत्र ही हस्तिनापुर के सिंहासन का हकदार होगा तो वह विवाह के लिए प्रस्तुत है।

      ALSO READ  श्राद्ध के 6 पवित्र लाभ और तुलसी का महत्व | 2YoDo विशेष

      राजा अपने पुत्र के साथ अन्याय नहीं करना चाहते थे अतः निराश होकर लौट आए। भीष्म, राजा शांतनु और उनकी पूर्व पत्नी गंगा के पुत्र थे। वे ज्येष्ठ थे किंतु बहुत आज्ञाकारी और उदार भी थे। उन्होंने अपने पिता की इच्छा जानते हुए सत्यवती को वचन दिया कि वह इसी क्षण राज्य का त्याग करते हैं।

      इस पर सत्यवती ने राजा शांतनु से विवाह कर लिया। सत्यवती से दो पुत्र, चित्रांगद और विचित्रवीर्य उत्पन्न हुए। ये दोनों पुत्र निःसंतान ही मृत्यु को प्राप्त हुए। इन परिस्थितियों में उसने भीष्म को विवाह कर लेने के लिए कहा ताकि हस्तिनापुर का वंश आगे बढ़ सके। 

      भीष्म ने सत्यवती के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। सत्यवती के विवाह पूर्व के पुत्र वेदव्यास, पराशर पुत्र होने के कारण हस्तिनापुर के राजगुरु थे। सत्यवती ने वेदव्यास से अनुरोध किया कि वह उसकी विधवा पुत्र-वधुओं को गर्भवती करे। 

      अम्बिका और अम्बालिका ने इस सहवास को खुले मन से स्वीकार नहीं किया। अम्बिका ने सहवास के क्षणों में लज्जा से अपनी आँखें बंद ही रखीं और अम्बालिका, कामातुर व्यास को देख कर पीली पड़ गई। अम्बिका ने अंधे पुत्र धृतराष्ट्र को जन्म दिया और अम्बालिका के गर्भ से पीलिया ग्रसित पाण्डु उत्पन्न हुआ। 

      इस घटना क्रम में इनकी एक अति सुन्दर, युवा दासी परिश्रमी ने महर्षि व्यास से, स्वेच्छा से काम निवेदन किया था, जिसने अति बुद्धिमान विदुर जी को जन्म दिया और कालांतर में महर्षि व्यास ने उसे हस्तिनापुर राज्य का महामंत्री बनाया गया। 

      लाक्षागृह से पाण्डुओं का जीवन महात्मा विदुर ने ही बचाया था।

      लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रों.

      ALSO READ  ॥ ब्रज के भावनात्मक 12 ज्योतिर्लिंग ॥

      JOIN OUR WHATSAPP CHANNEL CLICK HERE

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,841FansLike
      80FollowersFollow
      733SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles