सावन की कामिका एकादशी पर व्रत करने और दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है।सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है, इस महीने में पड़ने वाले हर व्रत और त्योहार का महत्व बेहद खास होता है। सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर कामिका एकादशी मनाई जाती है।
एकादशी में विष्णु भगवान की पूजा होती है, लेकिन माना जाता है कि सावन की कामिका एकादशी व्रत से शंकर भगवान भी प्रसन्न होते हैं।
मान्यताओं के अनुसार सावन की कामिका एकादशी पर व्रत करने और दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है।
कामिका एकादशी की तारीख और शुभ मुहूर्त
इस साल सावन की कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई 2023, गुरुवार को है.
कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी तिथि 12 जुलाई 2023 को शाम 05.59 मिनट पर शुरू हो रही है और अगले दिन यानी 13 जुलाई 2023, गुरुवार को शाम 06.24 मिनट तक एकादशी रहेगी।
कामिका एकादशी व्रत का पारण
कामिका एकादशी व्रत का पारण शुक्रवार, 14 जुलाई 2023 को सुबह 05 बजकर 32 के बाद करना है।
इस दिन सुबह 08 बजकर 18 मिनट तक पारण के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।
आहार से जुड़े नियम
एकादशी के पारण से पहले आपको ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और उसके बाद खुद भोजन करना चाहिए।
पारण के वक्त एकदम सात्विक भोजन करें।
इस भोजन में लहसुन, प्याज या फिर मांस-मच्छी को शामिल नहीं करना चाहिए।
इसके साथ ही ये भोजन शुद्ध घी में पका होना चाहिए।
पारण के भोजन में सरसों तेल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
एकादशी व्रत के दिन अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
आप फलाहार कर सकते हैं।
फल के अलावा दूध, दही और अन्य फलाहार जैसे साबूदाना, सिंघाड़े का आटा आदि से अपने लिए फलाहार तैयार कर सकते हैं।
कामिका एकादशी की व्रत कथा
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था।
एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई।
अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही।
परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया।
ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है।
पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।
इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है।
तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी।
पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं।
इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।