More
    29.1 C
    Delhi
    Tuesday, May 7, 2024
    More

      || जा की रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ||

      नमस्कार मित्रों,

      सागर साहब की आत्मकथा में यह वर्णन है कि उन्हें कई बार यह अहसास हुआ कि रामायण के निर्माण में कोई दैवीय योजना है।

      उदाहरण के लिए फिल्म ललकार की शूटिंग के लिए लोकेशन तलाशने सागर साहब अपने बेटे प्रेम सागर साहब संग गुवाहाटी असम आए थे ।

      जब वह कामाख्या स्थित सुप्रसिद्ध मन्दिर में देवी के दर्शन करने के बाद परिक्रमा कर रहे तो एक छोटी बच्ची उनके पास आई और उनसे कहा कि पेड़ के तले साधु महाराज आपको बुला रहे हैं ।

      जब सागर साहब अपने बेटे संग उधर निकले तो प्रेम सागर ने पीछे मुड़ कर उस बच्ची को देखा कि वह किधर जाती है तो वह गायब हो चुकी थी जब सागर साहब उस पेड़ के तले आए तो वहां कई साधु एक अन्य साधु महाराज जो चबूतरे पर बैठे हुए थे उनके इर्द गिर्द बैठे हुए थे ।

      सागर साहब ने प्रयोजन पूछा परन्तु वे शांत रहे , सागर साहब ने कोई सेवा अथवा मदद के लिए पूछा किंतु साधुओं में से किसी ने कुछ नहीं कहा तो वे विनम्रता से आज्ञा लेे कर वापस चले आए।

      वे और प्रेम सागर जी इस घटना को भूल चुके थे किन्तु सन अस्सी इक्कयासी के लगभग जब वह हिमालय में शूटिंग कर रहे थे तो अचानक मौसम खराब हो गया ।

      पास ही एक साधु की कुटिया थी सो उन्होंने यूनिट के महिलाओं और पुरुषों के लिए शरण मांगने हेतु एक व्यक्ति को साधु महाराज के पास भेजा।

      लोग उनकी कुटिया में आना चाहते हैं यह सुनते ही साधु महाराज आग बबूला हो गए और उन्होंने उस व्यक्ति को चिल्ला कर बाहर निकाल दिया , किन्तु जब साधु ने उससे पूछा कि कौन डायरेक्टर है तो उन्हें उत्तर मिला रामानन्द सागर यह सुनते ही साधु के व्यवहार में परिवर्तन हुआ ।

      ALSO READ  क्या श्रीराम ने मां सीता का परित्याग किया था : जानिए क्या कहना है मनोज मुंतशिर का

      वह साधु सबको स सम्मान कुटिया में लेे आया और जड़ी बूटी का काढ़ा दिया ।

      फिर सागर साहब से गुवाहाटी की घटना के बारे में पूछा , सागर साहब आश्चर्य चकित हो गए कि इस साधु को उस घटना से क्या प्रयोजन ।

      किन्तु साधु ने कहा कि जिस बच्ची ने उन्हें पेड़ के तले साधु महाराज के पास भेजा वह स्वयं देवी थी और वह साधु महाराज महावतार बाबाजी हैं जो किसी को दर्शन नहीं देते , सागर साहब को दर्शन इसलिए दिए क्योंकि वह आगे चलकर रामायण का निर्माण करने वाले हैं ।

      यह घटना अस्सी इक्यासी की होगी और इसके बाद ही सागर साहब ने फिल्मों से निकल कर टीवी पर जाने की सोची।

      जब नवम्बर १९८६ में वी एन गाडगिल और भास्कर घोष ने रामानन्द सागर जी के बनाए पायलट एपिसोड को देख इस धारावाहिक को मंजूरी न देने का फैसला किया तो अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री ने मंत्री मंडल में फेर बदल कर दिया।

      वी एन गाडगिल सूचना प्रसारण मंत्रालय से हटाए गए और नए मंत्री बने अजित कुमार पांजा जो रामायण के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं रखते थे फिर भी दूरदर्शन के सरकारी बाबू और क्लर्कों ने तीन महीना फायले लटकाई।

      तब सागर साहब बेहद निराश हो गए उनका नियम था कि मुंबई स्थित घर सागर विला में छत पर कबूतरों और पक्षियों को सुबह दाना डालते थे , एक दिन सुबह परेशान सागर साहब भविष्य कि अनिश्चितता में घिरे हुए छत पर खड़े हो कर पक्षियों को दाना खिला रहे थे कि एक साधु का उनके विला में आगमन हुआ , प्रेम सागर साहब इस घटना को लिखते हुए कहते हैं कि वह साधु अत्यन्त तेजस्वी दिखाई पड़ रहा था और साधुओं का दान मांगने आना सागर परिवार के लिए कोई नई बात नहीं थी मगर सागर साहब के अनुनय करने पर भी इस साधु ने कुछ दान नहीं लिया और उन्हें संबोधित कर कहा कि ” मैं हिमालय स्थित अपने गुरु की आज्ञा से तुम्हे यह सूचित करने आया हूं कि व्यर्थ चिंता करना छोड़ दो , तुम रामायण नहीं बना रहे हो , स्वर्ग में बैठी दिव्य शक्तियां तुमसे यह कार्य करवा रहीं है ” इतना कह कर वह साधु वहां से बिना कुछ लिए चला गया इस घटना ने सागर साहब के मन में उत्साह का संचार किया।

      ALSO READ  Amitabh Bachchan was Punctual Actor and Rajesh Khanna was Habit of Reaching Late all the Time : Prem Chopra

      स्वर्ग में बैठे देवताओं ने रामायण का निर्माण करवाया…

      पाठ्यक्रम : यह घटना रामानन्द सागर की आत्मकथा से ली गयी है

      लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रों.

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,789FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles