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    Friday, April 26, 2024
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      इन्फर्टीलिटी से पीड़ित 25 से 35 वर्ष के कपल्स चुन रहे हैं आईवीएफ उपचार के विकल्पः प्रिस्टाईन केयर के अध्ययन ने बताया

      आइवीएफ उपचार करवना जहां एक ओर उत्साहजनक होता है, वहीं दूसरी ओर कपल्स को नर्वस भी करता है। इसी के मद्देनज़र प्रिस्टाईन केयर ने आइवीएफ पर एक अध्ययन के परिणाम जारी किए हैं। 

      भारतीय लोगों को आईवीएफ से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है जिन्हें उपचार के दौरान आने वाली समस्याओं और फर्टीलिटी पर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। 

      यह अध्ययन महानगरों के 2000 से अधिक उत्तरदाताओं के साथ किया गया। 

      जिसके लिए आईवीएफ उपचार कराने वाले कपल्स के साथ साक्षात्कार किए गए।

      अध्ययन में पाया गया कि 78 फीसदी कपल्स अपनी इनफर्टीलिटी और प्रेग्नेन्सी के वैकल्पिक तरीकों के बारे में अपने परिवार और दोस्तों के साथ बातचीत करने में सहज महसूस करते हैं। 

      अध्ययन के मुताबिक 58 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि आईवीएफ का फैसला मुख्य रूप से महिलाएं ही लेती हैं। 

      एक मेडिकल जर्नल के मुताबिक ज़्यादातर महिलाओं को एक सायकल में 20-35 फीसदी सफलता दर मिलती है, लेकिन हर राउण्ड के साथ गर्भधारण की संभावना कम होती जाती है और लागत बढ़ती चली जाती है। 

      पुरूषों और महिलाओं सहित 60 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि असफल सायकल के बाद भी वे फिर से एक और सायकल के लिए ट्राय करना चाहते हैं, फिर चाहे लागत जो भी आए।

      आईवीएफ उपचार का फैसला लेने वाले 70 फीसदी उत्तरदाता 25-35 वर्ष के थे, जिन्होंने किसी एक पार्टनर में इनफर्टीलिटी की वजह से यह फैसला लिया। 

      जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं की वजह से इनफर्टीलिटी के मामले बढ़ रहे हैं। 

      ऐसे कुछ मुख्य कारण हैं- एसटीडी, पीसीओडी, काम का तनाव, खाने-पीने की गलत आदतें, नियमित व्यायाम की कमी, मोटापा आदि। 

      ज़्यादातर कपल्स बड़ी उम्मीदों के साथ आईवीएफ का फैसला लेते हैं, लेकिन बाद में निराशा ही उनके हाथ लगती है। 

      यह उपचार युवा कपल्स को लुभाता है जो गर्भधारण के लिए कोशिश कर रहे हैं। 

      61 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि वे आईवीएफ सेंटरों के मार्केटिंग के वादों में भरोसा रखते हैं और उनके विकल्पों को अपनाना चाहते हैं। 

      फर्टीलिटी का उपचार एक व्यक्तिगत फैसला है, 27 फीसदी उत्तरदाताओं के अनुसार वेे डॉक्टर से कन्सल्टेशन के बाद ही आईवीएफ फर्टीलिटी क्लिनिक चुनना चाहते हैं, जबकि 25 फीसदी उत्तरदाता आईवीएफ सेंटरों और क्लिनिकों की सफलता दर मेट्रिक्स को ध्यान में रखते हुए क्लिनिक का चयन करना चाहते हैं।

      डॉ गरिमा साहनी, सह-संस्थापक, गायनेकोलोजिस्ट, प्रिस्टाईन केयर ने कहा :

      ‘‘हाल ही में हमने आईवीएफ के क्षेत्र में प्रवेश किया, हमें हर महीने 5000 इन्क्वायरीज़ मिल रही हैं और इनमें से 20 फीसदी से अधिक मामलों में कपल्स उपचार के लिए विस्तृत कन्सलटेशन तक पहुंचते हैं। इनफर्टीलिटी और परिवार नियोजन के मद्देनज़र पिछले कुछ सालों में मैटरनिटी केयर और आईवीएफ उपचार की मांग बढ़ी है। प्रिस्टाईन केयर में हमारे पास अनुभवी फर्टीलिटी विशेषज्ञों की टीम है। हमें विश्वास है कि मरीज़ों की यात्रा में हम हर कदम पर उनके साथ है (गर्भधारण से लेकर डिलीवरी तक)। इस क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट अनुभव के साथ हम मरीज़ों को आईवीएफ, डॉक्टर कन्सलटेशन औेर पर्सनलाइज़्ड केयर के व्यापक समाधान उपलब्ध कराते हैं।’’

      आईवीएफ इन्फर्टीलिटी के उपचार का सबसे प्रभावी तरीका है, इसके बावजूद बड़ी संख्या में कपल्स आईवीएफ उपचार अपनाने से कतराते हैं। 

      अध्ययन के 74 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्हें आईवीएफ उपचार केे दौरान कई तरह की मुश्किलों जैसे सामान्य गर्भावस्था की समस्याएं, सफलता की कम दर और ट्विन प्रेग्नेन्सी का सामना करना पड़ा।

      प्रिस्टाईन केयर के बारे में : प्रिस्टाईन केयर एक अग्रणी स्वास्थ्यसेवा प्रदाता है जो 800 से अधिक अस्पतालों, 200 से अधिक चिकित्सकों एवं 400 से अधिक इन-हाउस सुपर स्पेशलटी सर्जनों के नेटवर्क की मदद से आधुनिक सैकण्डरी केयर सर्जरियांें की सुविधा उपलब्ध कराता है। 

      विशेषज्ञ सर्जनों की टीम 42 से अधिक शहरोंमें 50 से अधिक बीमारियों के इलाज के लिए आधुनिक चिकित्सा तकनीकों का उपयोग करती है। 

      कंपनी की स्थापना अगस्त 2018 में हरसीमरबीर (हर्ष) सिंह, डॉ वैभव कपूर और डॉ गरिमा साहनी द्वारा की गई, अब यह सैकण्डरी केयर सर्जरियों में अग्रणी है।

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