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      इस तरह की महिलाओं को होते हैं जुड़वा बच्चे | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      दांपत्य जीवन तब तक सफल नहीं होता जब तक संतान सुख की प्राप्ति न हो। संतान का सुख उन भौतिक सुखों में से एक है जिससे ईंट-पत्थर से बना मकान भी घर कहलाने लगता है। और अगर बच्चे की चाहत रखने वाले शादी-शुदा जोड़े को जुड़वा बच्चे का सुख मिल जाए तो मानो सोने पर सुहागा है।

      लेकिन ये सुख हर किसी के जीवन में नहीं आता, यानि कह सकते हैं ये सुख सिर्फ किस्मत वालों को ही मिलता है।

      ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जुड़वां बच्चों के संबंध में कुछ विशेष योग होते हैं, यह जिस स्त्री की कुंडली में होते हैं उसे अवश्य ही जुड़वां बच्चे प्राप्त होते हैं।

      • चंद्रमा एवं शुक्र एक ही राशि  में स्थित हों।
      • बुध, मंगल एवं गुरु ‍विषम राशि में हो।
      • लग्न एवं चंद्रमा समराशि में स्थित हो और पुरुष ग्रह द्वारा देखे जाते हो।
      • बुध, मंगल, गुरु और लग्न बलवान हो तथा समराशि में स्थित हो।
      • मिथुन या धनुराशि में गुरु-सूर्य हो एवं बुध से दृष्ट  हो तो दो पुत्र होते हैं।
      • शुक्र, चंद्र, मंगल, कन्या या मीन राशि में बुध से दृष्ट हो तो दो पुत्रियां होती हैं।
      • स्त्री की कुंडली के सातवें स्थान पर राहु हो या गुरु-शुक्र एक साथ हो तो जुड़वा संतान पैदा होती है परंतु शादी के काफी समय बाद होती है।
      इस कारण भी होते हैं जुड़वां बच्चे

      आनुवांशिक (जेनेटिक्स) कारण – यदि आपके परिवार में पहले भी जुड़वा बच्चे पैदा हो चुके हैं, तो काफी संभावना है कि आपको भी जुड़वा बच्चे हों। अगर आप अपने भाई-बहन के जुड़वा हैं, तो भी जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि ऐसा संभावना माता और उसके परिवार पर ही आधारित होती है।

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      ऊंचाई व वजन – ऊंचाई व वजन भी कई बार जुड़वा बच्चों के होने में बड़ा कारण बनते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ अब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनोकॉलजी में छपी एक स्टडी के अनुसार, ऐसी महिलाएं जिनका बीएमआई 30 या उससे ज्यादा हो, उनमें जुड़वा बच्चों को जन्म देने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा ऊंची महिलाएं भी जुड़वा बच्चों को अधिक जन्म देती हैं।

      मां की आयु – कई स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन के निर्माण में कमी आती है, जो एग ओवरीज को ओव्यलैशन के लिए रिलीज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में जैसे-जैसे रिलीज़ होने वाले एग की संख्या बढ़ने लगती है, वैसे-वैसे जुड़वा बच्चे होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

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