नमस्कार मित्रों,
विज्ञान कहता हैं कि एक नवयुवक स्वस्थ पुरुष यदि सम्भोग करता हैं तो उस समय जितने परिमाण में वीर्य निर्गत होता है
उसमें बीस से तीस करोड़ शुक्राणु रहता हैं … यदि इन्हें स्थान मिलता , तो लगभग इतने ही संख्या में बच्चे जन्म ले लेता …
वीर्य निकलते ही बीस तीस करोड़ शुक्राणु पागलों की तरह गर्भाशय की ओर दौड़ पड़ता है
भागतें भागतें लगभग तीनसौ से पाँचसौ शुक्राणु पहुँच पाता हैं उस स्थान तक
बाकी सभी भागने के कारण थक जाता है बीमार पड़ जाता है और मर जातें हैं
और यह जो जितने डिम्बाणु तक पहुंच पाया , उनमे सें केवल मात्र एक , महाशक्तिशाली पराक्रमी वीर शुक्राणु ही डिम्बाणु को फर्टिलाइज करता है , यानी कि अपना आसन ग्रहण करता हैं
और यही परम वीर शक्तिशाली शुक्राणु ही आप हो , मैं हूँ , हम सब हैं ..
कभी सोचा है इस महान घमासान के विषय में ?
इस महान युद्ध के विषय में ?
आप उस समय भाग रहे थे तब जब आप का आंख नही था , हाथ पैर सर दिमाग कुछ भी नही था फिर भी आप विजय हुए थे
आप तब दौड़े थे जब आप के पास कोई सर्टिफिकेट नही था किसी नामी दामी कॉलेज का नाम नही था आप का कोई पहचान ही नही था
फिर भी आप जीत गए थे
आप तब दौड़े थे जब आप न हिन्दू थे न मुसलमान
न भक्त न भगवान फिर भी आप जीत गए
बिना किसी से मदद लिए बिना किसी के सहारे खुद अपने बलबूते पर विजय को प्राप्त हुए थे
उस समय आप भागे थे दौड़े थे जब आप का एक निर्दिष्ट गन्तव्य स्थल था उसी की ओर लक्ष्य था आप का संकल्प बस उस तक पहुंचना था थके बिना एकाग्र चित्त से आप भागे दौड़े और उद्देश्य पूरा किये , गन्तव्य तक पहुंच गए
बीस तीस करोड़ शुक्राणुओं को आप ने हरा दिए थे हैं न ?
और आज देखो ?
थोड़ा बहुत भी तकलीफ या परेशानी आया , और आप घबड़ा जातें हैं निराश हो जातें है हाल छोड़ बैठ जातें हैं
क्यो आप अपनी उस आत्मविश्वास को गँवा बैठते हैं ??
अभी तो सब हैं आप के पास हाथ पैर से मष्तिष्क दिमाग से लेकर परिवार भाई बहन सब हैं
मेहनत करने के लिए हाथ पैर हैं प्लानिंग के लिए दिमाग हैं बुद्धि हैं शिक्षा हैं … सहायता के लिए लोग हैं
फिर भी आप निराश हो जीवन को नरक बना बैठे हैं
जब आप जीवन की प्रथम दिन प्रथम युद्ध नही हारे तो आज भी हार मत मानिये
आप पहले भी जीते थे आज भी जीतेंगे और कल भी जीतेंगे
लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रों.