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      काशी का वाराणसी के रूप में पुनर्जन्म कैसे हुआ | जानिए पूरी कहानी | 2YoDo विशेष

      यह कथा द्वापरयुग की है ,जब भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र ने काशी को जलाकर राख कर दिया था !

      बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ !

      यह कथा इस प्रकार है :-

      मगध का राजा जरासंध बहुत शक्तिशाली और क्रूर था !

      उसके पास अनगिनत सैनिक और दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे !

      यही कारण था ,कि आस-पास के सभी राजा उसके प्रति मित्रता का भाव रखते थे !

      जरासंध की अस्ति और प्रस्ति नामक दो पुत्रियाँ थीं !

      उनका विवाह मथुरा के राजा कंस के साथ हुआ था !

      कंस अत्यंत पापी और दुष्ट राजा था !

      प्रजा को उसके अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उसका वध कर दिया !

      दामाद की मृत्यु की सुचना सुनकर जरासंध क्रोधित हो उठा !

      प्रतिशोध की ज्वाला में जलते जरासंध ने कई बार मथुरा पर आक्रमण किया !

      किंतु हर बार श्री कृष्ण उसे पराजित कर जीवित छोड़ देते थे !

      एक बार उसने कलिंगराज पौंड्रक और काशीराज के साथ मिलकर मथुरा पर आक्रमण किया !

      लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें भी पराजित कर दिया !

      जरासंध तो भाग निकला किंतु पौंड्रक और काशीराज भगवान के हाथों मारे गए !

      काशीराज के बाद उसका पुत्र काशीराज बना और श्री कृष्ण से बदला लेने का निश्चय किया !

      वह श्री कृष्ण की शक्ति जानता था !

      इसलिए उसने कठिन तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें समाप्त करने का वर माँगा !

      भगवान शिव ने उसे कोई अन्य वर माँगने को कहा !

      किंतु वह अपनी माँग पर अड़ा रहा !

      तब शिव ने मंत्रों से एक भयंकर कृत्या बनाई और उसे देते हुए बोले :- 

      वत्स ! तुम इसे जिस दिशा में जाने का आदेश दोगे यह उसी दिशा में स्थित राज्य को जलाकर राख कर देगी ! लेकिन ध्यान रखना, इसका प्रयोग किसी ब्राह्मण भक्त पर मत करना ! वरना इसका प्रभाव निष्फल हो जाएगा !

      यह कहकर भगवान शिव अंतर्धान हो गए !

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      इधर, दुष्ट कालयवन का वध करने के बाद श्री कृष्ण सभी मथुरा वासियों को लेकर द्वारिका आ गए थे ! 

      काशीराज ने श्री कृष्ण का वध करने के लिए कृत्या को द्वारिका की ओर भेजा !

      काशीराज को यह ज्ञान नहीं था कि भगवान श्री कृष्ण ब्राह्मण भक्त हैं !

      इसलिए द्वारिका पहुँचकर भी कृत्या उनका कुछ अहित न कर पाई !

      उल्टे श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र उसकी ओर चला दिया !

      सुदर्शन भयंकर अग्नि उगलते हुए कृत्या की ओर झपटा !

      प्राण संकट में देख कृत्या भयभीत हो कर काशी की ओर भागी !

      सुदर्शन चक्र भी उसका पीछा करने लगा !

      काशी पहुँचकर सुदर्शन ने कृत्या को भस्म कर दिया !

      किंतु फिर भी उसका क्रोध शांत नहीं हुआ और उसने काशी को भस्म कर दिया !

      कालान्तर में वारा और असि नामक दो नदियों के मध्य यह नगर पुनः बसा !

      वारा और असि नदियों के मध्य बसे होने के कारण इस नगर का नाम वाराणसी पड़ गया !

      इस प्रकार काशी का वाराणसी के रूप में पुनर्जन्म हुआ!

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