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      || जैविक हथियार ||

      जैविक हथियार

      आतंकी हाथों में हैं जैविक हथियार,
      ना जाने कब कर दें मानव का बंटाढार।

      स्वतंत्रता की राह के रोड़े हैं गंभीर,
      चाहे जहाँ मचा सकते हैं ये हाहाकार।

      रासायनिक हथियार जितने हैं भयावह,
      कम नहीं जरा भी उनका विस्फोटक आकार।

      चेचक और प्लेग जैसी महामारियाँ,
      जाने कितने भरे पड़े हैं दुश्मने संसार।

      इनका दुश्मन भले कोई भी हुआ करे,
      भोली-भाली जनता इनका बनती है शिकार।

      इतना तो समझ लो जैविक के दीवानो,
      फैली महामारी नहीं मरते बस दो चार।

      नहीं जानते ये हिन्दू और मुस्लिम जात,
      नहीं मानते थे गोरे काले का आधार।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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