More
    17.1 C
    Delhi
    Monday, December 4, 2023
    More

      || जैविक हथियार ||

      जैविक हथियार

      आतंकी हाथों में हैं जैविक हथियार,
      ना जाने कब कर दें मानव का बंटाढार।

      स्वतंत्रता की राह के रोड़े हैं गंभीर,
      चाहे जहाँ मचा सकते हैं ये हाहाकार।

      रासायनिक हथियार जितने हैं भयावह,
      कम नहीं जरा भी उनका विस्फोटक आकार।

      चेचक और प्लेग जैसी महामारियाँ,
      जाने कितने भरे पड़े हैं दुश्मने संसार।

      इनका दुश्मन भले कोई भी हुआ करे,
      भोली-भाली जनता इनका बनती है शिकार।

      इतना तो समझ लो जैविक के दीवानो,
      फैली महामारी नहीं मरते बस दो चार।

      नहीं जानते ये हिन्दू और मुस्लिम जात,
      नहीं मानते थे गोरे काले का आधार।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      ALSO READ  || विज्ञान और हम ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,579FansLike
      80FollowersFollow
      715SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles