प्यार का अपने फसाना हम लिखेंगे
आने वाला नव जमाना हम लिखेंगे।
दर्दे-दिल का हर तराना हम लिखेंगे।।
प्यार की अठखेलियों मे दिल चुराना।
रूठना उनका मनाना हम लिखेंगे।।
कब हँसें कब मुस्करायें कब रुलायें।
बेवजह दिल तोड़ जाना हम लिखेंगे।।
मौज-मस्ती जो हुई नादानियों मे।
वो समय बीता सुहाना हम लिखेंगे।।
एक-दूजे को लड़ा मतलब निकालें।
अब सियासी हर निसाना हम लिखेंगे।।
मोह,ममता, त्याग की बुझती मसालें।
फिर दिखाकर युग पुराना हम लिखेंगे।।
छोड़कर संकोच सारी बंदिशों के।
प्यार का अपने फसाना हम लिखेंगे।।
नेह से तन-मन डुबा “राही” जहां का।
इक अनोखा घर बसाना हम लिखेंगे।।
लेखक
राकेश तिवारी
“राही”
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