सबसे सुन्दर कृति
सबसे सुन्दर कृति विधाता की इस जग में है नारी,
और सुहागा सोने पर यदि है वो नारी सुकुमारी ।
दैत्य देवता दोनों ही इस मत पर रहे है एक मतेन,
जिसने इसे बनाया उस अद्भुत शक्ति के आभारी ।
बाल रूप में होती है वो कन्या या आदिशक्ति,
चरणों की पूजा करते हैं इस युग के सब संसारी ।
हुई युवा तो बज्र और पाषाण हृदय भी डोले हैं,
और तपस्या छोड़ उठ गये लाखों दुर्लभ अवतारी ।
अपने पति की अर्धांगिनी बन जाती विवाहोपरांत,
पहिया बन जाती है तब चलती है घर की गाड़ी ।
सबसे उन्नत रुप नारी का जब वो माँ बन जाती है,
अवनी, अंबर, जड़ चेतन करते अभिनन्दन तब भारी ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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