More
    29 C
    Delhi
    Saturday, April 27, 2024
    More

      || घनघोर काली रातों के साये ||

      घनघोर काली रातों के साये

      घनघोर काली रातों के साये,
      माझी को संगीत लहरों का भाये ।

      सागर सघन तट न आता नजर है,
      माझी है मतवाला लंबा सफर है,
      पानी की छप-छप में जीवन का राग,
      माझी का पतवार से है अनुराग ।
      माझी की धड़कन में घुले समाये,
      माझी को संगीत लहरों का भाये ।

      चलता ही चल माझी चलता ही चल,
      तेरे इरादों में उफनाये बल,
      बिजली गिरे या भिगाये बौछार,
      हर हाल करना है सागर को पार ।
      हिम्मत तेरी तुझे राह दिखाये,
      माझी को संगीत लहरों का भाये ।

      कहीं दूर अब दिख रहा है चिराग,
      सीने में भर हौसलों की तू आग,
      पवन की छुअन से नसों में उन्माद,
      अपने लहू से स्वयं कर संवाद ।
      बाहें फैलाये वो मंजिल बुलाये,
      माझी को संगीत लहरों का भाये ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE

      ALSO READ  || पर्वत और मधुवन ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,747FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles