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Sixth Sense | What is sixth sense | Where is the sixth sense | How can the sixth sense be awakened | छठी इंद्री क्या होती है | कहां होती है | कैसे इसे जाग्रत किया जा सकता है | 2YODOINDIA

|| छठी इंद्री क्या होती है | कहां होती है | कैसे इसे जाग्रत किया जा सकता है ||

नमस्कार मित्रों,

छठी इंद्री को अंग्रेजी में सिक्स्थ सेंस कहते हैं। यह क्या होती है, कहां होती है और कैसे इसे जाग्रत किया जा सकता है यह जानना भी जरूरी है। इसे जाग्रत करने के लिए वेद, उपनिषद, योग आदि हिन्दू ग्रंथों में अनेक उपाय बताए गए हैं। नास्त्रेदमस इसी तरह के उपायों से भविष्यवक्ता बने थे।

मस्तिष्क के भीतर कपाल के नीचे एक छिद्र है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं, वहीं से सुषुन्मा नाड़ी सहस्रकार के जुड़कर रीढ़ से होती हुई मूलाधार तक गई है। इसी नाड़ी के बायीं ओर इड़ा और दायीं ओर पिंगला नाड़ी स्थित है। दोनों के बीच सुप्तावस्था में छठी इंद्री स्थित है।

यह छठी इंद्री ही हमें हर वक्त आने वाले खतरे या भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास करती रहती है लेकिन कुछ लोग इसे स्पष्ट समझ लेते हैं और कुछ नहीं। यदि आप इसे समझें तो आपके साथ घटने वाली घटनाओं के प्रति ये इंद्री आपको सजग कर देगी।

छठी इंद्री जाग्रत होने से व्यक्ति में भूत और भविष्य में झांकने की क्षमता आ जाती है। ऐसा व्यक्ति मीलों दूर बैठे व्यक्ति की बातें सुन सकता और उसे देख भी सकता है। दूसरों के मन की बात जान ही नहीं सकता बल्की उनका मन बदल भी सकता है और दूसरों की बीमारी दूर की जा सकती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार छठी इंद्री कल्पना नहीं, वास्तविकता है, जो हमें किसी घटित होने वाली घटना का पूर्वाभास कराती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के रॉन रेसिक के अनुसार छठी इंद्रिय के कारण ही हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होता है।

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छठी इंद्री को जाग्रत करने का बहुत ही सरल तरीका है। तीन माह के लिए खुद को परिवार और दुनिया से काटकर आपको योग की शरण में जाना होगा। यम, नियम, प्राणायम और योगासन करते हुए लगातार ध्यान करना होगा।

प्राणायाम सबसे उत्तम उपाय इसलिए माना जाता है क्योंकि हमारी दोनों भौहों के बीच छठी इंद्री होती है। सुषुम्ना नाड़ी के जाग्रत होने से ही छठी इंद्री जाग्रत हो जाती है। प्राणायम के माध्यम से छठी इंद्री को जाग्रत किया जा सकता है।

मेस्मेरिज्म या हिप्नोटिज्म जैसी अनेक विद्याएं इस छठी इंद्री को जाग्रत करने का सरल और शॉर्टकट रास्ता है लेकिन इसके खतरे भी हैं। हिप्नोटिज्म को सम्मोहन कहते हैं। सम्मोहन विद्या को ही प्राचीन समय से ‘प्राण विद्या’ या ‘त्रिकालविद्या’ के नाम से पुकारा जाता रहा है।

मन के कई स्तर होते हैं। उनमें से एक है सुक्ष्म शरीर से जुड़ा हुआ आदिम आत्म चेतन मन। यह मन हमें आने वाले रोग या खतरें का संकेत देकर उससे बचने के तरीके भी बताता है। इस मन को प्राणायाम या सम्मोहन से साधा जा सकता है।

त्राटक क्रिया से भी इस छठी इंद्री को जाग्रत कर सकते हैं। आप बिना पलक गिराए किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉल, मोमबत्ती या घी के दीपक की ज्योति पर देखते रहिए। इसके बाद आंखें बंद कर ध्यान करें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। इससे धीरे-धीरे छठी इंद्री जाग्रत होने लगेगी।

ऐसा कई बार देखा गया है कि कई लोगों ने अंतिम समय में अपनी बस, ट्रेन अथवा हवाई यात्रा को कैंसिल कर दिया और वे चमत्कारिक रूप से किसी दुर्घटना का शिकार होने से बच गए। बस यही छठी इंद्री का कमाल है। आप इसे पहचानें क्योंकि यह सभी संवेदनशील लोगों के भीतर होती है।

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यदि आपको यह आभास होता है कि पीछे कोई चल रहा है या दरवाजे पर कोई खड़ा है। कुछ होनी-अनहोनी होने वाली है या कोई खुशी का समाचार मिलने वाला है तो आप अपनी इस क्षमता पर लगातार गौर करें और ध्यान देंगे तो यह विकसित होने लगेगी। जैसे-जैसे अभ्यास गहराएगा आपकी छठी इंद्री जाग्रत होने लगेगी और आप भविष्यवक्ता बन जाएंगे!!

लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रों.
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