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      विजया एकादशी आज | विजया एकादशी व्रत से मिलता है दुश्मनों को हराने का वरदान | 2YoDo विशेष

      16th फरवरी 2023 को फाल्गुन माह की विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा। स्कंद पुराण के अनुसार स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय पाने के लिए इस व्रत को किया था। पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार कहा जाता है कि जब जातक दुश्मनों से घिरा हो तब विपरीत परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत सुनिश्चित की जा सकती है।

      स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत का महात्म्य बताते हुए कहा था कि स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय पाने के लिए इस व्रत को किया था।

      मान्यता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत कथा के श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और शुभ कर्मों में वृद्धि होती है।

      विजया एकादशी की तिथि
      • गुरुवार, 16th फरवरी 2023
      • एकादशी तिथि प्रारंभ: 16th फरवरी 2023 पूर्वाह्न 05:32 बजे।
      • एकादशी तिथि समाप्त: 17th फरवरी 2023 पूर्वाह्न 02:49 बजे।
      विजया एकादशी व्रत की कथा

      पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में कई राजा – महाराजा इस व्रत के प्रभाव से अपनी हार को भी जीत में बदल दिया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले अपनी पूरी सेना के साथ इस व्रत को रखा था।

      कथा के अनुसार श्रीराम अपनी सेना के साथ जब माता सीता को बचाने और रावण से युद्ध करने समुद्रतट पर पहुंचे तो अथाह समुद्र को देखकर चिंतित हो गए।

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      श्रीराम ने लंका पर विजय पाने के लिए किया एकादशी व्रत

      सागर पार करने और रावण को परास्त करने को लेकर लक्ष्मण ने श्रीराम को वकदाल्भ्य मुनि से सलाह लेने को कहा।

      लक्ष्मण के कहे अनुसार श्रीराम वकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में पहुंचे और अपनी समस्या बताई।

      ऋषि वकदाल्भ्य ने श्रीराम को सेना सहित फाल्गुन माह की विजया एकादशी व्रत करने को कहा. व्रत की विधि जानकर श्रीरामचंद्र ने फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर कलश में जल भरकर उसके ऊपर आम के पल्लव रखें फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पुष्प, सुपारी, तिल, पीले वस्त्र, धूप, दीप, नारियल और चंदन से उनकी पूजा की।

      विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से पाई जीत

      पूरी रात श्रीहरि का स्मरण किया और फिर अगले दिन द्वादशी तिथि पर श्रद्धानुसार कलश सहित ब्राह्मणों को तिल, फल, अन्न का दान किया और फिर व्रत का पारण किया।

      व्रत का प्रताप से श्रीराम ने सेना सहित सागर पर पुल का निर्माण कर लंका पहुंचे और रावण को परास्त कर अधर्म पर धर्म का परचम लहराया।

      मान्यता है कि तब से ही विजया एकादशी का व्रत रखने की परंपरा शुरू हुई।

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