विनाश के कारण
खर्च कर चुका अमरीका है डालर कई करोड़,
मलेरिया से बचने का पर ढूंढ न पाया तोड़।
महाशक्तियाँ मिल कर लगी हैं एड्स के विरुद्ध,
हार नजर आती है इसमें बहुत कठिन है युद्ध।
दक्षिण अफ्रीका में तो है बीमारियों का भंडार,
मरते हैं प्रतिदिन कितने गिनना लगता निःसार।
अरब देश आपस में लड़लड़ के मरना सीखे,
आतंकवाद बढ़ाने के हैं उनके पास तरीके।
बहुत हुआ है विकास फिर भी भूकंपों की मार,
यहीं गिरा था, हाइड्रोजन बम जाने सब संसार।
साम्यवाद पर खड़ा चीन जनसंख्या से हारा,
जैसा पलड़ा देखा वैसा दाँव भी अक्सर मारा।
फूट के कारण रूस हो गया भीतर से कमजोर,
पनप न जाये, अमरीका अजमाता रहता जोर।
भारत पाकिस्तान में है उलझा सीमा विवाद,
नजर लगी कश्मीर पे पाक बढ़ाता आतंकवाद।
अलग-अलग है कारण किन्तु निश्चित है विनाश,
ना आपस में प्रेम भाव, इन्सानियत ना विश्वास।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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