कुछ बातें अधूरी रह गयी,
कह पाते उससे पहले उमर ढह गयी,
आँखो के सामने अंधेरा छाया है घनघोर,
शायद कोई लेने आया है आपको ले जाने उस ओर ।
कुछ साँसों ने दम लेने की कोशिश की,
कहना था बहुत प्यार करता हूँ,
बेटा हूँ आपका,
पर साँस अटक गयी,
एक आह में मेरी हर बात सिमट गयी ।
पापा थोड़ा और रह जाते दो चार दिन यहाँ,
देखो आपके अपने तकलीफ़ में है,
इन्हें ऐसे नहीं छोड़ सकते
नहीं जाना था कही और ।
एक स्पर्श तेरा मेरे हाथों पे,
तेरे आँखों से बहते अश्क़,
वो तेरा मुझे “अरे यार रिंकू” बोलना,
क्या ज़िद है आपकी कही दूर जाने की,
पूरा जीवन जी लिया आपके संग उस पल में,
जो ना कह सका वो आप बिना कहे समझ गये,
ये भीगी आँखे ये भीगी पलके,
आहत कर गयी मेरी आत्मा को,
क्या जरूरत थी इतनी जल्दी थी,
में भूल गया था कोई काम बाद में नही तुरंत करने की आदत थी ।
जी भर कर एक टक आपको निहारते रहे,
आपकी बंद आँखो में अपना वजूद तलाशते रहे ।
मुझे अब कुछ और पता नहीं
बस,
पीछे किसी के रोदन का शोर सा सुनाई पड़ता है।।

Lt Sri RAM KUMAR DWIVEDI
” we love you papa “

लेखक
राहुल राम द्विवेदी
” RRD “
Superb Bhaiya…🙏🙏🙏🙏
THANK YOU SIR
Very beautiful lines ,his blessing will be always with you.
THANK YOU MA’AM
It’s beautiful.
THANK YOU MA’AM
It’s so heart touching lines
THANK YOU SIR
We love u papa nd miss u alot….beautiful lines bhaiya….👌👌👌
THANK YOU
Uff …
The self made man
There is no words to express