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      || तुलसी ||

      तुलसी

      बड़े सयाने सब कहते हैं,दुख दारुण सब हरती तुलसी,
      इसीलिए सब पूजा करते सबका ही मन भरती तुलसी ।

      सर्दी खांसी में बहुधा ही,रस चाय में लेते हैं सब,
      कहीं उबाल लेते हैं पत्ते, करारे लेते हैं सब,
      कैंसर जैसे असाध्य रोग से अंत समय तक लड़ती तुलसी,
      बड़े सयान सब कहते हैं,दुख दारुण सब हरती तुलसी ।

      सभी वृक्ष देते हैं दिन में सूरज रहते तक वायु शुद्ध,
      एक अकेली तुलसी देती रात समय भी वायु ,
      चौबीसों घण्टे अनवरत प्राणवायु ही झरती तुलसी,
      बड़े सयाने सब कहते हैं,दारुण सब हरती तुलसी ।

      मरते समय भी मानव के मुख तुलसी दल ही छोड़ा जाता,
      कभी-कभी मरते मानव की साँस को इससे जोड़ा जाता,
      एक से बढ़कर एक करिश्मा है पल में ही करती तुलसी,
      बड़े सयाने सब कहते हैं,दुख दारुण सब हरती तुलसी ।

      इसीलिए तो शास्त्रों में ये संजीवनी बूटी कहलाई,
      कहते हैं मूर्छित लक्ष्मण के प्राणों में संवेदन लाई,
      जितना संभव हो घर-घर में उन्नत रखें संवरती तुलसी,
      बड़े सयाने सब कहते हैं,दुख दारुण सब हरती तुलसी ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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