जय हो
उनके आने की आहट जो आने लगी
फिर अवध की धरा जगमगाने लगी
धाम अयोध्या का फिर राम मय देख कर
ज़िंदगी झूमने गुनगुनाने लगी
राम उसकी तरफ आयेंगे सोचकर
देखो शबरी भी घर को सजाने लगी
उनके चरणों का प्रताप जब मिल गया
तब कहीं अक्ल मेरी ठिकाने लगी
राम सबके वचन को निभाएंगे फिर
रीत रघुकुल की होंटो पे आने लगी
आज तुलसी की चौपाई खुश हो गई
रुत बहारों की हर ओर छाने लगी
राम सबके लिए हैं ये जब से सुना
श्रद्धानुसरत की पलकें बिछाने लगी
लेखिका
नुसरत जहाँ अतीक़ गोरखपुरी