More
    37.1 C
    Delhi
    Saturday, May 11, 2024
    More

      श्री रामजानकी विवाहोत्सव 2023 | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      आज विवाह पंचमी पर बन रहा अद्भुत संयोग, इसमें राम-जानकी की पूजा से मिलेगा कई गुना फल, इस वर्ष 17 दिसंबर को विवाह पंचमी मनाई जाएगी। सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम एवं माता जानकी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को परिणय सूत्र में बंधे थे।

      सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम एवं माता जानकी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को परिणय सूत्र में बंधे थे। इस विवाह प्रसंग की महिमा महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में विस्तार से कही है।

      बन रहा खास योग

      इस बार विवाह पंचमी पर दुर्लभ हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में माता जानकी एवं भगवान श्रीराम की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इस योग का निर्माण 18 दिसंबर को देर रात 12:36 मिनट तक है। इस योग में अपने आराध्य की पूजा करने से सुख एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही हर्षण योग में शुभ कार्य कर सकते हैं।

      ये दो योग भी खास

      विवाह पंचमी पर बालव एवं कौलव करण का भी निर्माण हो रहा है। सर्वप्रथम बालव करण का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 05:33 मिनट तक है। इसके पश्चात, कौलव करण का निर्माण हो रहा है। कौलव करण का निर्माण 18 दिसंबर को प्रातः 04:22 मिनट तक है।

      ALSO READ  कार्तिक मास प्रारम्भ | भगवान विष्णु का प्रिय महीना | मोक्ष प्राप्ति के लिए इस माह में कर लें ये कार्य | 2YoDo विशेष
      पूजा का शुभ मुहूर्त

      मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 16 दिसंबर को रात 8 बजे से शुरू होगी एवं 17 दिसंबर को संध्याकाल 5:53 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद तिथि की गणना की जाती है। इसके अनुसार 17 दिसंबर को विवाह पंचमी मनाई जाएगी।

      विवाह पंचमी का महत्व
      • विवाह पंचमी का दिन अत्यंत ही पावन और पवित्र दिन माना जाता है।
      • विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्री राम जी और सीता जी का विवाह हुआ था।
      • प्रभु श्री राम जी और माता सीता की आराधना करने का यह एक बहुत ही शुभ और उत्तम दिन माना जाता है।
      • इस दिन में अयोध्या और जनकपुर में भव्य विवाह समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश से श्रद्धालु पहुँचते है।
      • इस दिन प्रभु श्री राम और माता सीता की आराधना और स्तुति करना बहुत ही शुभ फलदायक माना जाता है।
      • विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
      • विवाह पंचमी के दिन श्री राम जी के स्त्रोतों और मन्त्रों का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
      विवाह पंचमी की पूजा विधि 
      • विवाह पंचमी के दिन भगवान श्री राम की बारात निकाली जाती है।
      • घर में भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
      • भगवान गणेश का ध्यान कर के विवाह की रस्म शुरू की जाती है।
      • हनुमान जी की पूजा करके उनका आवाहन जरूर करना चाहिए।
      • हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त और मां सीता को सबसे अधिक प्रिय माने जाते हैं।
      • माता सीता और भगवान श्री राम को माला पहनाई जाती है और गठबंधन किया जाता है।
      • इस दिन भगवान को भोग लगाया और आरती की जाती है।
      • विवाह की रस्म पूरी होने के बाद प्रसाद बांटा जाता है।
      • आज के दिन भगवान श्री राम और माता सीता का अधिक से अधिक ध्यान करना चाहिए।
      ALSO READ  होलिका दहन 6th या 7th मार्च 2023 कब है | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष
      विवाह पंचमी की कथा 

      राम और सीता भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता के रूप में थे। जिन्होंने पृथ्वी लोक पर राजा दशरथ के पुत्र तथा राजा जनक की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता का जन्म धरती से हुआ था। राजा जनक को एक नन्ही बच्ची मिली थी, जब वह हल जोत रहे थे।

      उस नन्ही बच्ची को उन्होंने सीता नाम दिया था। इसलिए सीता मैया जनक पुत्री के नाम से जानी जाती हैं। माता सीता द्वारा एक बार मंदिर में रखे भगवान शिव के धनुष को उठा लिया गया था। जिसे भगवान परशुराम के अलावा कोई भी नहीं उठा सकता था। तब ही राजा जनक ने फैसला कर लिया था, कि वह अपनी पुत्री के योग्य उसी मनुष्य को समझेंगे। जो भगवान विष्णु के इस धनुष को उठा सकेगा और उस पर प्रत्यंचा चढ़ा पाएगा।

      राजा जनक द्वारा स्वयंबर का दिन तय किया गया तथा चारों और संदेश भेज दिया गया। कई बड़े बड़े महारथी ने इस स्वयम्बर का हिस्सा लिया। जिसमें महर्षि वशिष्ठ के साथ भगवान राम और लक्षमण भी दर्शक के रूप में शामिल हुए थे। कई राजाओं ने प्रयास किया, लेकिन कोई भी उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर की बात हैं धनुष को हिला ना सका।

      इस प्रदर्शन से दुखी होकर राजा जनक ने करुण शब्दों में कहा कि क्या कोई भी राजा मेरी पुत्री के योग्य नहीं हैं। राजा जनक की इस मनोदशा को देख महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम से प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा। अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम ने शिव धनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लग गए।

      ALSO READ  वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      लेकिन वह धनुष टूट गया। इस प्रकार स्वयम्बर को जीत कर भगवान राम जी ने माता सीता से विवाह किया। माता सीता ने प्रसन्न मन से भगवान राम के गले में वरमाला डाली दी। इस विवाह से धरती,पाताल और स्वर्ग लोक में खुशियों की लहर दोड़ पड़ी कहा जाता है, कि आसमान से फूलों की बौछार होने लगी।

      पूरा ब्रह्माण्ड गूंज उठा और चारों तरफ शंख नाद होने लग गया। इस प्रकार आज भी विवाह पंचमी को सीता माता और भगवान राम के विवाह के रूप में पूरे हर्षो उल्लास से मनाया जाता है।

      विवाह पंचमी क्यों मनाई जाती है?

      विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्री रामचंद्र और सीता जी का विवाह हुआ था। इस कारण से हर वर्ष प्रभु श्री राम और सीता जी के विवाह के सालगिरह को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,804FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles