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      || भैया तेरा घोड़ा ||

      भैया तेरा घोड़ा आज दरवाजे खड़ा,
      माथे साजे मुकुट हीरे से जड़ा ।


      बाजे ढोल और बाजे मधुर ताल में,
      चाँद आया उतर ज्यों तेरे भाल में,
      भैया राजा दिखे राजसी चाल में,
      मैया मोती लुटाये लिये थाल में,
      आज का दिन बहन को सुहाना बड़ा,
      भैया तेरा घोड़ा आज दरवाजे खड़ा ।


      तेरी पगड़ी में है मोतियों की लड़ी,
      तेरे पोशाक सलमे सितारे जड़ी,
      सोने की गले में सतलड़ियाँ पड़ी,
      ले बलैयां उतारे नजर माँ खड़ी,
      भर गया ज्यों पिता की ख़ुशी का घड़ा,
      भैया तेरा घोड़ा आज दरवाजे खड़ा ।


      भाई नाचें सभी, नाचें सारी बहन,
      दोस्त और यार नाचे हैं हो के मगन,
      हर दिशा में खुशी ज्यों बिखरे पवन,
      आज भैया से भाभी का होगा मिलन,
      बंधे बंधन नये, नया नाता जुड़ा,
      भैया तेरा घोड़ा आज दरवाजे खड़ा ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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