Home tech Videos Cricket Created by potrace 1.15, written by Peter Selinger 2001-2017 shop more
माँ में तेरी सोनचिरैया | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY 2YODOINDIA POETRY

|| दोपहरी की बात न करना | DOPAHAR KI BAAT NA KARNA ||

दोपहरी की बात न करना

दोपहरी की बात न करना कैसे तुम तक आते हम,
लाज हया के बंधन तगड़े तोड़ भला कब पाते हम ।

सासू जी आँगन में बैठी भाजी डंठुल तोड़े थीं,
आस पड़ोस की बड़ी बुढियाँ भी तो मजमा जोड़े थीं ।

सबकी नजरों से बचकर के,कहो भला आ पाते हम ?
दोपहरी की बात न करना कैसे तुम तक आते हम ।

बंटी, सोनू भी तो अपने स्कूल से आने वाले थे,
खाना खाकर ही तो वे ट्यूशन को जाने वाले थे ।

बोर्ड परीक्षा, कड़ी पढ़ाई का भी ध्यान न लाते हम,
दोपहरी की बात न करना कैसे तुम तक आते हम ।

घर के भी सौ काम पड़े थे ऊपर से पूनो का व्रत,
भांते भांते सासूजी ने आधे में छोड़ा था घृत,

क्या क्या रोड़े थे राहों में कैसे तुम्हें बताते हम,
दोपहरी की बात न करना कैसे तुम तक आते हम ।

ससुर जी की वृद्धावस्था और मुँह दाँतो से खाली,
उनको भी ताजे खाने की आदत मैंने खुद डाली,

माता पिता की सेवा पूजा है का ध्यान न लाते हम,
दोपहरी की बात न करना कैसे तुम तक आते हम ।

बात बात में गुस्सा खाते और सुनाते ताने हो,
मुझको ही बस अपनी नजरों में अपराधी माने हो,

आपकी सेवा में अब हाजिर हैं लो हुक्म बजाते हम,
दोपहरी की बात न करना कैसे तुम तक आते हम ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

ALSO READ MORE POETRY माँ में तेरी सोनचिरैया

ALSO READ  || ध्वनि प्रदूषण ||
Share your love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *