माँ-बेटी
माँ निज बेटी के लिये, होती है भगवान ।
शीक्षा-दीक्षा कर्म हित, देती है नित ज्ञान ।।
छाया माँ की बेटियाँ, निज माँ का है रूप ।
माँ के ही अनरूप बन, दिखता भाव अनूप ।।
बेटी माँ से ज्ञान ले, करती जग उजियार ।
बेटी माँ का प्रेम है, निज माँ का है प्यार ।।
माँ बिन बेटी सून है, भाग्य उदय न होय ।
जीवन भटकन मे फँसे, जग मे दिखे न कोय ।।
भाग्यवान वो बेटियाँ, जिन पर माँ का हाथ ।
सुख-दुख मे आकर सुनो, सदा निभाती साथ ।।
लेखक
राकेश तिवारी
“राही”
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