More
    35.1 C
    Delhi
    Saturday, April 27, 2024
    More

      प्रदोष व्रत 2023 | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं।

      जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से सब प्रकार के दोष मिट जाता है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है।

      प्रदोष व्रत विधि के अनुसार दोनों पक्षों की प्रदोषकालीन त्रयोदशी को मनुष्य निराहार रहे। निर्जल तथा निराहार व्रत सर्वोत्तम है परंतु यदि यह सम्भव न हो तो नक्तव्रत करे।

      पूरे दिन सामर्थ्यानुसार हो सके तो कुछ न खाये नहीं तो फल ले। अन्न पूरे दिन नहीं खाना। सूर्यास्त के थोड़े से थोड़े 72 मिनट उपरान्त हविष्यान्न ग्रहण कर सकते हैं। शिव पार्वती युगल दम्पति का ध्यान करके पूजा करके।

      प्रदोषकाल में घी के दीपक जलायें। न्यूनतम एक अथवा 32 अथवा 100 अथवा 1000।

      प्रदोष व्रत की तिथि

      शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, सोमवार, 28 अगस्त 2023

      • प्रदोष व्रत प्रारंभ: 28 अगस्त 2023 को शाम 06:23 बजे
      • प्रदोष व्रत समाप्त: 29 अगस्त 2023 दोपहर 02:48 बजे
      प्रदोष व्रत की विधि 
      • प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए।
      • व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
      • पूजा के लिए शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, धूप, दीप और फूल अर्पित करना चाहिए।
      • इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करनी चाहिए। आरती के बाद, व्रत का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
      • प्रसाद में खीर का भोग लगाकर घर के छोटे बच्चों को बांट दें।
      ALSO READ  MOTHER AND FATHER CANNOT BE COMPARED | 2YODOINDIA
      प्रदोष व्रत का महत्व  
      • मोक्ष – प्रदोष व्रत रखने से मोक्ष प्राप्त होता है।
      • पापों से मुक्ति – प्रदोष व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है।
      • सुख और समृद्धि – प्रदोष व्रत रखने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
      • रोगों से मुक्ति – प्रदोष व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
      • आर्शीवाद – प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
      सोम प्रदोष व्रत की पौराण‍िक कथा

      सोम प्रदोष व्रत कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रात: होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी।

      भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई।

      वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए इधर-उधर भटक रहा था।

      राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा। तभी एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई।

      ALSO READ  Bajaj Pulsar NS125 Launched in India

      उन्हें भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया।

      सोम प्रदोष व्रत कथा महात्म्य

      ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा।

      राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही शंकर भगवान अपने दूसरे भक्तों के दिन भी फेरते हैं।

      अत: सोम प्रदोष का व्रत करने वाले सभी भक्तों को यह कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए।

      सावन में प्रदोष व्रत का महत्व

      सावन में प्रदोष व्रत रखने वालों पर शिव जी मेहरबान रहते हैं, व्रती को प्रदोष व्रत के प्रभाव से वैवाहिक सुख, संतान सुख, धन प्राप्ति और शत्रु-ग्रह बाधा से मुक्ति मिलती है। इस व्रत में शिव पूजा प्रदोष काल में की जाती है।

      प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होता है और 45 मिनट बाद तक मान्य होता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं।

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,746FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles