सावन
सावन का ये माह तो, शिव जी का त्योहार ।
सोमवार दिन शम्भु का, आशिष मिले अपार ।।
वृत, पूजन जो जन करे, सोमवार करे घ्यान ।
सावन मे प्रभु की कृपा मिलती उसे महान ।।
गुडिया, सुजिया पर्व मे, हर्षित हो नर नारि ।
रक्षा वन्धन मे दिखे, भाई बहन का प्यार ।।
ब्याही लडकी अधिकतर, पीहर अपने जाय ।
सज-धज झूला झूलती, सावन मे इठलाय ।।
देह
गोरी काया पे कभी, मत करना अभिमान ।
देह-धर्म अच्छे रखो, सदा रहे सम्मान ।।
कंचन सी काया अगर, और बुरे है काम ।
थू-थू दुनिया कर रही, नाम बने बदनाम ।।
भले कुरूपी देह हो, पर हो कर्म महान ।
जग मे जय जयकार से, गूंजेगा गुणगान ।।
आकर्षण इस देह के, बडे-बडे फँसि जाय ।
जब अवगुण आवै समझि, तब रोवै चिल्लाय ।।
देह साथ गर गुण सही, तो प्रभु कृपा महान ।
जीवन के हर काल मे, नही होय अपमान ।।
लेखक
राकेश तिवारी
“राही”
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