पर्यावरण
पर्यावरण अशुद्ध हो तो रोग का भंडार,
शुद्ध पर्यावरण है आरोग्य चमत्कार।
शुद्ध जल ना मिले तो हों पेट के सब रोग,
डॉक्टर का भी घर भरे हैं, ऐसे सभी लोग,
जल की अशुद्धि से मानें,डॉक्टर भी हार;
पर्यावरण अशुद्ध हो तो रोग का भंडार ।
हवा शुद्ध ना मिली तो श्वास समस्या,
हर समय सताये चाहे करो तपस्या,
वक्त व बेवक्त सभी रहेंगे बीमार,
पर्यावरण अशुद्ध हो तो रोग का भंडार ।
स्वच्छ वस्त्र न मिलें तो त्वचा बुरे हाल,
फोड़े फुन्सी, खुजली चलें सभी टेढ़ी चाल,
ऐग्जीमा,त्वचा रोग करें उलट पलट मार,
पर्यावरण अशुद्ध हो तो रोग का भंडार ।
शुद्ध भावना न हो तो मानसिक तनाव,
तन व मन पे इससे भी बनते हैं गहरे घाव,
हर तरह की शुद्धता है जीवन का आधार,
पर्यावरण अशुद्ध हो तो रोग का भंडार ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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