शक्तिरूपा नारी
शक्तिरूपा नारी तेरे रूप अनेक हुए,
कहीं देवी,कहीं दुर्गा काली एक से एक हुए ।
सीता रूप में भटकी वन-वन पथरीली राहें,
समा गई पृथ्वी में फिर भी तो अभिषेक हुए ।
राधा रूप में पीछे पीछे भागे गिरधारी,
रास समय जी चाहा तो गोविंद अनेक हुए ।
सावित्री के रूप में उखड़े यमदूतों के पाँव,
सत्यवान को जिंदा रखने के अभिलेख हुए ।
अर्ध नारीश्वर रूप रखकर भोले बाबा ने,
उमा,पार्वती,गौरी में मिल दो से एक हुए ।
मीरा का विष प्याला,जूठे बेर भीलनी के,
सच्चे प्रेम की महिमा से अवसन्न विवेक हुए ।
दुर्गावती और लक्ष्मी बाई रण में खूब लड़ीं,
अकबर या अंग्रेज सभी के मस्तक टेक हुए ।
इंद्रा गाँधी राजनीति में जग सिरमौर बनी,
देश ऐशियाई मिलने से पश्चिम शेक हुए ।
कोई भी नारी जग में कमजोर नहीं होती,
बहुधा उससे अपनी शक्ति पर मिस्टेक हुए ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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