More
    31.1 C
    Delhi
    Friday, October 11, 2024
    More

      || शक्तिरूपा नारी | SHAKTIRUPA NAARI ||

      शक्तिरूपा नारी

      शक्तिरूपा नारी तेरे रूप अनेक हुए,
      कहीं देवी,कहीं दुर्गा काली एक से एक हुए ।

      सीता रूप में भटकी वन-वन पथरीली राहें,
      समा गई पृथ्वी में फिर भी तो अभिषेक हुए ।

      राधा रूप में पीछे पीछे भागे गिरधारी,
      रास समय जी चाहा तो गोविंद अनेक हुए ।

      सावित्री के रूप में उखड़े यमदूतों के पाँव,
      सत्यवान को जिंदा रखने के अभिलेख हुए ।

      अर्ध नारीश्वर रूप रखकर भोले बाबा ने,
      उमा,पार्वती,गौरी में मिल दो से एक हुए ।

      मीरा का विष प्याला,जूठे बेर भीलनी के,
      सच्चे प्रेम की महिमा से अवसन्न विवेक हुए ।

      दुर्गावती और लक्ष्मी बाई रण में खूब लड़ीं,
      अकबर या अंग्रेज सभी के मस्तक टेक हुए ।

      इंद्रा गाँधी राजनीति में जग सिरमौर बनी,
      देश ऐशियाई मिलने से पश्चिम शेक हुए ।

      कोई भी नारी जग में कमजोर नहीं होती,
      बहुधा उससे अपनी शक्ति पर मिस्टेक हुए ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      FOR MORE POETRY BY PRABHA JI VISIT माँ में तेरी सोनचिरैया

      ALSO READ  || पर्यावरण विलाप ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,853FansLike
      80FollowersFollow
      734SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles