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      || वृक्ष लगायें चार ||

      वृक्ष लगायें चार

      जग में आये एक बच्चा वृक्ष लगाये चार,
      तभी मिलेगा प्रकृति को सन्तुलन आधार ।

      रोप लिया पौधा सबने देखभाल भूले,
      कैसे पनपेगा जल बिन करिये जरा विचार ।

      चलो सींच भी दिया है जल यही सोच,फूले,
      ढोर गाय खा जायेंगे जो नहीं लगाई बाड़ ।

      हरियाली बिछ जायेगी, धरती पर हर ओर,
      थका पथिक पा जायेगा घनी छाँव भंडार ।

      हवा बहेगी सनन सनन प्राण वायु के रूप,
      वाष्पीकरण से मिलेगा बादल को आकार ।

      जल बरसेगा झिमर-झिमर मिले हमें आनन्द,
      प्यासी धरती पर बहे, सरर-सरर जल धार ।

      जनसंख्या व प्रकृति का उचित मेल संभाव्य,
      धीरे से हो जायेगा तब बंद विनाशी द्वार ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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