कितना आसान है इस लाइन को कह देना, कितना आसान है इस लाइन को सुन लेना, कितना आसान है इसे सुनकर कुछ ना कहना, कितना आसान है इस लाइन को सुनकर मुस्कुरा देना।
दोस्तों, कितना बड़ा आघात है ये लाइन दिल पर, कितना बड़ा दर्द है ये लाइन, कितना अपमानित करती है। मैंने अक्सर देखा है कि कुछ मित्र दूसरे शहर जाकर कहते हैं हम कानपुर से हैं, हम लखनऊ से हैं लेकिन वो अपने शहर उन्नाव का नाम नहीं बताते। आखिर क्यों आप अपनी जन्मभूमि या कर्मभूमि पर गर्व नहीं कर पाते?
आप उस उन्नाव से हैं जहां से चंद्रशेखर आज़ाद की जड़े जुड़ी हैं, जहां महाप्राण निराला हुए, जहां प्रताप नारायण मिश्र हुए, जहां गया प्रसाद शुक्ल सनेही हुए, जहां काका बैसवारी हुए, जहां राजा राव रामबक्स सिंह हुए, शिवमंगल सिंह सुमन अपने ही उन्नाव के थे।
आप मां सीता की तपोस्थली से हैं, आप उस जगह से हैं जहां चक्रवर्ती राजा राम अपने पुत्रों से परास्त हुए, आप उस धरती से हैं जहां बजरंगबली भी बंधक बन गए थे।
आप उस धरती से हैं जहां के सियासी लोगों ने देश और प्रदेश की सरकारें चलाई हैं। आपके ज़िले के दो नेता मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, नाम भी जान लीजिए द्वारिका प्रसाद मिश्र, रवि शंकर शुक्ल।
उन्नाव के ही तीन नेता ऐसे थे जो एक वक्त देश की राजनीति की धुरी बन गए थे, सत्ता के केंद्र बने वो नाम थे द्वारिका प्रसाद मिश्र, उमा शंकर दीक्षित, ज़िया उर रहमान अंसारी।
वो नेता जिसकी एक अपील पर हजारों किसान पैदल लखनऊ चल दिए वो विश्वंभर दयाल त्रिपाठी आपके हमारे पहले सांसद थे।
“चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है” ये गाना और इंकलाब जिंदाबाद का नारा आपके ही उन्नाव की कलम से निकला, उस जादूगर का नाम था सैय्यद फ़जल उल हसन उर्फ हसरत मोहानी।
प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेई जी के सलाहकार ब्रजेश मिश्रा अपने ही उन्नाव के थे।
आल्हा सम्राट लल्लू बाजपेई, क्रिकेट की पिच पर कुलदीप यादव ये भी उन्नाव की शान हैं
इफको के एमडी उन्नाव के सथनीबाला खेड़ा गांव के रहने वाले उदय शंकर अवस्थी हैं।
जिन्हें सियासत में गांधी कहा गया, 7 बार विधायक रहे भगवती सिंह विशारद जी आपके ही उन्नाव के थे।
आज देश में कई बड़े और विद्वान पत्रकार ऐसे हैं जिनका उन्नाव से वास्ता रहा है।
और भी बहुत से नाम हैं।
अब आप बताइए क्या ऐसी उपलब्धियां किसी दूसरे जिले में मिलेंगी, इसलिए अपने ज़िले पर गर्व कीजिए।
और उन्नाव के समोसे तो पूरे उत्तर भारत में मशहूर हैं।
तभी तो कहा भी गया
ऊपर चढ़ता तो लिख देता अंबर में ध्वंस कहानी ये,
नीचे बहता तो भू उर्वर उन्नाव ज़िले का पानी ये।
Rahul Ram Dwivedi (RRD) is a senior journalist in 2YoDoINDIA.
NOTE : Views expressed are personal.