More
    31.1 C
    Delhi
    Thursday, May 9, 2024
    More

      || माँ की कृपा ||

      माँ की कृपा

      शारदे माँ की कृपा का, गर नही वरदान होता।
      गीत, गजलों का भला, मुझको कहां फिर ज्ञान होता।।

      शब्द भावों को समझने की न आ पाती अकल,
      आप लोगों से बना फिर, मै सदा अनजान होता।।

      कुण्डली, दोहा, सवैया, मै समझ पाता नही।
      और मुक्तक को कलम से, मै तो लिख पाता नही।।

      हर विधा की मात्रायें गर नही मइया सिखाती,
      तो लकीरें हाथ की, मै तो बदल पाता नही।।

      लेखक
      राकेश तिवारी
      “राही”

      READ MORE POETRY BY RAHI JI CLICK HERE
      JOIN OUR WHATSAPP CHANNEL CLICK HERE

      ALSO READ  || माँ की महिमा ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,796FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles