More
    12.1 C
    Delhi
    Saturday, December 14, 2024
    More

      || माँ की कृपा ||

      माँ की कृपा

      शारदे माँ की कृपा का, गर नही वरदान होता।
      गीत, गजलों का भला, मुझको कहां फिर ज्ञान होता।।

      शब्द भावों को समझने की न आ पाती अकल,
      आप लोगों से बना फिर, मै सदा अनजान होता।।

      कुण्डली, दोहा, सवैया, मै समझ पाता नही।
      और मुक्तक को कलम से, मै तो लिख पाता नही।।

      हर विधा की मात्रायें गर नही मइया सिखाती,
      तो लकीरें हाथ की, मै तो बदल पाता नही।।

      लेखक
      राकेश तिवारी
      “राही”

      READ MORE POETRY BY RAHI JI CLICK HERE
      JOIN OUR WHATSAPP CHANNEL CLICK HERE

      ALSO READ  || मत दीजिये बेटी को यातनायें ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here


      Stay Connected

      19,167FansLike
      80FollowersFollow
      817SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles