आधुनिक कवि
एक मंच के महारथी आधुनिक कवि से मैंने कहा-
महाशय! आप शोहरत और पैसा तो खूब कमा रहे हो,
किन्तु कबीर-सूर-तुलसी-केशव-निराला जैसा नहीं लिख पा रहे हो।
इस पर आधुनिक कवि महोदय क्रुद्ध होकर बोले-
आप बिना वजह समझे अपना मुँह मत खोलें।
अरे, हम कबीर-सूर-तुलसी-केशव-निराला के वंशज हैं।
उनसे बढिया लिख सकते हैं।
चाहें तो कुछ नये कीर्तिमान गढ़ सकते हैं।
परन्तु, ऐसा करके हम
अपने पूर्वजों की महत्ता को कम नहीं कर सकते हैं।
बढ़िया लिखकर क्या मिला कबीर-सूर-तुलसी-केशव-निराला को?
जिन्दगी राम-राम करके कष्टों में कटी,
अब किताबों में दफन हैं।
और हम आधुनिक कवि बिना मगजमारी किये,
नुक्कड़-नुक्कड़ में पैसा कमाने में मगन हैं।
लेखक
श्री विनय शंकर दीक्षित
“आशु”
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