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    Friday, November 8, 2024
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      || बाबुल तेरे घर आंगन में ||

      बाबुल तेरे घर आंगन में खुशियां बरसती हों,
      बेला और चमेली सजे संग चंपा महकती हो ।

      तेरे घर से जब आये मुझे ठंडी हवा आये,
      तेरे घर से जब गुजरें पुरवइयां गुजरती हो ।। बाबुल…..

      दूर बहुत दूर तक ही दुख दर्दों के साये रहें,
      हर दिन तुम्हारे बाबुल सुख सुविधा छलकती हों ।। बाबुल…..

      धन धान्य की घर में कभी कोई कमी ना रहे,
      आशीर्वाद के साये में उम्मीदें चहकती हों ।। बाबुल…..

      शंख और मंत्रोच्चार की ध्वनि हर दिन सुनाई दे
      शाम हो तो घी की बाती तुलसी तले जलती हो ।। बाबुल…..

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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