जन्मदिवस
जन्मदिवस, शादी, उत्सव हो कोई त्यौहार,
वस्त्र आभूषण न दें पर पौधा दें उपहार।
इस उपहार दिये पौधे में जब जब पत्ते आयेंगे,
हरयाली के द्वारा सीधे दिल पर जा बस जायेंगे,
आकर्षित न करे किसे हरयाली का संसार?
वस्त्र आभूषण न दें पर पौधा दें उपहार।
इस उपहार दिये पौधे में जब कलियां निकलेंगी,
याद आपकी कलियों के रस्ते कुछ आगे ढिकलेगी,
मंद मंद उनकी सुंदरता बढ़ेगी अपरंपार,
वस्त्र आभूषण न दें पर पौधा दें उपहार।
इस उपहार दिये पौधे में फूल भी निश्चित महकेंगे,
तन मन को आनंदित कर खुशियों में पंछी चहकेंगे,
रोक न पायेगा फिर कोई हृदय में प्रेमोद्गार,
वस्त्र आभूषण न दें पर पौधा दें उपहार।
इस उपहार दिये पौधे पर मीठे फल जब आयेंगे,
आनंदित होकर घर के सब चटकारे ले खायेंगे,
उस दिन सभी करेंगे निश्चित उपहार का आभार,
वस्त्र आभूषण न दें पर पौधा के उपहार।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE