पुष्प की महिमा
आराध्य को चढ़ायें, प्रिय को दें, पुष्प की महिमा अपरंपार
पुष्प सुगंध से रोग भगाये, कर ऐरोमा थेरेपी व्यवहार।
लक्ष्मी-विष्णु संग विराजें कमल फूल सिंहासन पर,
शेष नाग हैं छाया करते उनके अद्भुत आसन पर,
सृष्टि की वृद्धि का द्योतक कमल फूलता है जल में,
पंखुड़ियों का उबटन उत्तम बीज निराले हैं बल में,
शहद मिलाकर अंजन ज्योति देता नेत्रों को है अपार,
आराध्य को चढ़ायें, प्रिय को दें, पुष्प की महिमा अपरंपार।
केवड़े की होती है कस्तूरी जैसी मनमोहक सुगंध,
उन्मादक व उत्तेजक है दुर्गंध नाशक है प्रबंध,
सिरदर्द, गठिया में होता उपयोगी इसका इत्र है,
मन को आल्हादित करने वाला इसका प्रथम चरित्र है,
कुष्ठ, चेचक, खुजली वाले मान गये केवड़े से हार,
आराध्य को चढ़ायें, प्रिय को दें, पुष्प की महिमा अपरंपार।
सौंदर्य, स्नेह, प्रेम का प्रतीक होता पुष्प गुलाब का,
लाली, सूजन आंख की हरता जल पुष्प गुलाब का,
उत्तेजक है इत्र किन्तु गर्मी में रखे दिमाग दुरुस्त,
गुलकंद अमृत पेट के लिए, कब्ज से ये रखता है चुस्त,
शांत करे आंतों की गर्मी, हृदय को देता है पुचकार,
आराध्य को चढ़ायें, प्रिय को दें, पुष्प की महिमा अपरंपार।
मन को आनंदित करती गेंदा की खुशबू लगे भली,
बड़े से बड़ा फूल गेंदा का हो छोटी से छोटी कली,
गंदे नालों की बदबू और मक्खी मच्छर दूर करे,
लीवर की सूजन, पथरी व चर्मरोग का कष्ट हरे,
मालाओं के रूप में होता गेंदा का अतुलित व्यापार,
आराध्य को दे चढ़ाये प्रिय को दे, पुष्प की महिमा अपरंपार।
मादक निंद्रादायक है सुगंध रात की रानी की,
दूर से ही आकर्षित करती तीव्र सुगंध मनमानी की।
संध्या से लेकर ये महके अर्धरात्रि तक भरपूर,
शनैः शनैः क्षीण होती है, मच्छर किन्तु अनाती दूर,
इसकी मोहक खुशबू से बजने लगते अंतस के तार,
आराध्य को दे चढ़ाये, प्रिय को दे, पुष्प की महिमा अपरंपार।
सूर्योदय की ओर मुंह किये खिलता निस दिन सूर्यमुखी,
आनंदित होते इस पुष्प से बूढ़े, जर्जर और दुखी,
हृदय रोग के रोगी का कोलेस्ट्रॉल कम करता है तेल,
इसमें रहता सूर्य प्रकाश के कारण विटामिन ए. डी. मेल,
विटामिन ए. व डी. की कमी वाले रोगों का करता संहार,
आराध्य को चढ़ाये, प्रिय को दें, पुष्प की महिमा अपरंपार।
बेला-चंपा और चमेली है मोहक सुगंध वाले,
इसीलिए इनकी वेणी हर नारी केशों में डाले,
चर्मरोग में करते हैं इनके तेलों का सदुपयोग,
तन को महकाने वाले ये पुष्प हरें मन के भी रोग,
ज्वर हर, नेत्रज्योतिवर्धक मुंह के छालों का हो उपचार,
आराध्य को चढ़ायें, प्रिय को दे, पुष्प की महिमा अपरंपार।
गुच्छेदार पलाश पुष्प अप्रतिम सौंदर्य का धारक,
वन की ज्योति कहाने वाला चूर्ण पेट का कृमि मारक,
फूलों की लुगदी पेडू पर रखने से ये पीर हरे,
पथरी के कारण से मूत्र जो रुका हुआ था भी उतरे,
परियों ने भी इसके अप्रतिम सौंदर्य से मानी थी हार,
आराध्य को चढ़ायें, प्रिय को दें, पुष्प की महिमा अपरंपार।
गठिया रोग का नाशक जिसको हम कहते हैं पारिजात,
चेहरे की मलिनता को फूलों का लेप है देता मात,
शुभकारक है बहुत से रोगों में भी है ये गुणकारी,
पत्तों का काढ़ा नस व जोड़ों को दे शक्ति भारी,
हरि भी खुश हो जाते इससे पुष्प कहाये हरसिंगार।
आराध्य को चढ़ायें, प्रिय को दें, पुष्प की महिमा अपरंपार।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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