More
    30.1 C
    Delhi
    Wednesday, May 1, 2024
    More

      || जनसंख्या के वेग पर ||

      जनसंख्या के वेग पर

      जनसंख्या के वेग पर अंकुश लगाना आवश्यक,
      धीरे-धीरे न बन जाये यही समस्या तक्षक।

      धीरे-धीरे, लगे ना खाने, एक दूजे को चबा-चबा,
      बन जायेगा मानव खुद ही मानवता का भक्षक।

      नहीं दिखेगा कोई उपाय लाख करो तुम कोशिश,
      भगवान भी बन पायेगा ना आदमी का रक्षक।

      बचेगी धरती कहाँ, बचेगा खाने को ना दाना,
      नहीं बचेगा कहने को, है कुछ आनन्ददायक।

      इन्सानियत ना बचेगी, प्रेम, भाईचारा कहाँ,
      चोरी-चमारी, खून खराबा, बहेगा खून भरसक।

      किसको अपना कहेगा कोई, किसे कहे बेगाना,
      चैन नहीं पायेगा मानव सदा रहेगी धक-धक।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      ALSO READ  || पर्वत और मधुवन ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,751FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles