मेरा रकबा
मिजाज मेरा फकीरी, जज्बा सुल्तानी है।
बात जो मैं कहता, वह मर्दानी है।
समझ में आपके अगर आये तो ठीक,
वरना जनाब ये आपकी नादानी है!
तुम होगे इलाके के रईस खानदानी,
इलाके के घर-घर में मेरी जजमानी है।
कब्जा तुम्हारा बेशुमार जमीं-जायदाद पर,
मेरा रकबा लोगों के दिलों की राजधानी है!
लेखक
श्री विनय शंकर दीक्षित
“आशु”
READ MORE POETRY BY ASHU JI CLICK HERE
JOIN OUR WHATSAPP CHANNEL CLICK HERE