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माँ में तेरी सोनचिरैया | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY 2YODOINDIA POETRY

|| शक्तिरूपा रूप धरा | SHAKTIRUPA ROOP DHARA ||

शक्तिरूपा रूप धरा

नागपुर की भरी कचहरी में अक्कू को मारा है,
नारी की गरिमा संजोकर चंडी रूप सँवारा है ।

अत्याचार, बर्बरता से नहीं किया है समझौता,
शक्तिरूपा रूप धरा, साहस की देवी को न्यौता ।

दुष्ट दमन को हाथ कटारी लेकर क्या ललकारा है,
नारी की गरिमा संजोकर चंडी रूप सँवारा है ।

इसने रोका, उसने रोका, कहाँ मानने वाली थीं,
निकली अत्याचार मिटाने अबलाऐं मतवाली थीं ।

काट के कुहरा कायरता का अब फैला उजियारा है,
नारी की गरिमा संजोकर चंडी रूप सँवारा है ।

ऐसा ही कुछ साहस जोड़े,हर कस्बे हर बस्ती में,
लूट सके न नारी-अस्मत,कभी भेड़िये सस्ती में ।

भरकर हाहाकार दिलों में दुष्टों को संहारा है,
नारी की गरिमा संजोकर चंडी रूप संवारा है ।

छूरी कटारी ना मिल पाये आसानी से किसी तरह,
रोड़े पत्थर और लाठी तो मिल जाते हैं सभी जगह ।

समझो दुर्गा माता ने खुद आकर तुम्हें पुकारा है,
नारी की गरिमा संजोकर चंडी रूप संवारा है ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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