वृक्ष और हम
वृक्ष बहुत ही मंगलकारी और सभी को भाते हैं,
वृक्ष से लेकर मीठे फल हम बड़े प्रेम से खाते हैं ।
आसपास जो वृक्ष न हों तो लगता कितना नीरस है,
जमघट जहाँ हुआ वृक्षों का,दृश्य बहुत ही सुहाते हैं ।
हरे-भरे वृक्षों का होना सुख शान्ति द्योतक है,
शुद्ध प्राण दायिनी वायु वृक्षों से हम पाते हैं ।
वृक्षों से हमको मिल जाती जड़ी बूटियाँ अति अनमोल,
पकड़ जड़ों को धरती को कटने से वृक्ष बचाते हैं ।
वृक्षों पर खिलने वाले फूलों की शोभा अनुपम है,
हीरे मोती उनकी आभा के सम्मुख शरमाते हैं ।
थके पथिक की व्यथा वृक्ष बिन क्या कोई बतला पाये,
दूर-दूर तक छाया ना मिलना दिल को दहलाते हैं ।
वृक्ष हमारे संगी,साथी,मित्र,सहोदर,रिश्तेदार,
वृक्ष नहीं कम किसी देव से सभी पूज्य बतलाते हैं ।
अहित वृक्ष का करने वालो समझो अहित ये मानव का,
ज्यों-ज्यों चले कुल्हाड़ी,त्यों-त्यों अहित को हम बुलाते हैं ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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