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      || बड़ा भाई ||

      बड़ा भाई

      मत आरी चलवा मुझ पर,मैं बड़ा भाई हूँ तेरा,
      बाबूजी के हाथों डाला गया था मेरा डेरा ।

      पिछवाड़े से लाकर आंगन में लगवाया उनने,
      मेरी रक्षा हित दिन भर थे लगे वे ईंटा चुनने ।
      उन ईंटों से भरी दुपहरी में था मुझको घेरा,
      मत आरी चलवा मुझ पर, मैं बड़ा भाई हूँ तेरा ।

      मेरे पीछे-पीछे ही तो तेरा जन्म हुआ था,
      छट पसनी तेरी पर बाबू जी ने मुझे छुआ था ।
      लाड़ दुलार दिया तुझको,मुझको सींचा बहुतेरा,
      मत आरी चलवा मुझ पर,मैं बड़ा भाई हूँ तेरा ।

      इस आंगन में हम तुम संग-संग ही पले बढ़े हैं,
      तेरे संग-संग मित्र भी तेरे,कांधे मेरे चढ़े हैं ।
      बचपन में गलबहियों से था पनपा स्नेह घनेरा,
      मत आरी चलवा मुझ पर,मैं बड़ा भाई हूँ तेरा ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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