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माँ में तेरी सोनचिरैया | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY 2YODOINDIA POETRY

|| बेटी का पिता | BETI KA PITA ||

बेटी का पिता

गरीब हो अमीर हो लेकिन है वो बड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


पैदा किया,पाला पोसा और किया बड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


बहा के पसीना अपना दूजे का घर भरा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


कन्या भी दी,दिया सामान छोटा और बड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


दाता है फिर भी नीची निगाहें किये खड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


टुकड़ा जिगर का दे रहा फिर भी है चुप खड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


गर रो दिया तो पल में आँसू से भरे घड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


लेकिन वह धीर और गम्भीर मौन सा खड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


छोड़ता धीरज कभी खुद देता आसरा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


बेटी को भेज द्वार बंद करके रो पड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।


दानी है,पूज्य देवता वो है पैगम्बरा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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