बेटी का पिता
गरीब हो अमीर हो लेकिन है वो बड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
पैदा किया,पाला पोसा और किया बड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
बहा के पसीना अपना दूजे का घर भरा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
कन्या भी दी,दिया सामान छोटा और बड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
दाता है फिर भी नीची निगाहें किये खड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
टुकड़ा जिगर का दे रहा फिर भी है चुप खड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
गर रो दिया तो पल में आँसू से भरे घड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
लेकिन वह धीर और गम्भीर मौन सा खड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
छोड़ता धीरज कभी खुद देता आसरा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
बेटी को भेज द्वार बंद करके रो पड़ा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
दानी है,पूज्य देवता वो है पैगम्बरा,
क्योंकि वह है बेटी का पिता ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
ALSO READ माँ में तेरी सोनचिरैया
READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE
DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE