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माँ में तेरी सोनचिरैया | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY 2YODOINDIA POETRY

|| दे के जन्म ||

दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है,
भैया को टाफी मुझे मात्र गुड़ ही दिया है ।


भैया को लेकर दिये बाल और कंचे,
पर हमारे लिये तो पत्थर भी न जँचे ।


तिसपे भी सब बूढ़ों का विरोध लिया है,
दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है ।


दीवाली पर भैया को वस्त्र और जूते,
मेरे पुराने चले इस्त्री के बलबूते।


फिर भी मुझे देख जहर जैसे पिया है,
दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है ।


जन्म दिन भैया का कटा केक,दी दावत,
मेरा जन्म दिन तो जैसे रात अमावस ।


आँसू के धागे से होठ मैंने सिया है,
दे के जन्म मुझपे बड़ा उपकार किया है ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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