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      || हरियाली की महिमा ||

      हरियाली की महिमा

      हरयाली की महिमा समझेंगे सबको समझायेंगे,
      वृक्ष लगाकर हम धरती को स्वर्ग समान बनायेंगे ।

      हरे भरे पत्ते आंखों में ठंडक सी भर देते हैं,
      रंग-रंग के फूल हृदय को पुल्कित सा कर देते हैं,
      ठंडी-ठंडी हवा के झोंके दुख दारूण हर लेते हैं,
      कानों में मीठे सरगम का अनुभव सा भर देते हैं,
      हवा प्राण रक्षक का प्रकृति परचम हम फहरायेंगे,
      वृक्ष लगाकर हम धरती को स्वर्ग समान बनायेंगे ।

      वृक्ष न होते धरती पर तो जीवन कैसे संभव था,
      करतब करती दिव्यात्मायें फिर भी जीव असंभव था,
      यही बताते आये पूर्वज ऐसा उनका अनुभव था,
      वृक्ष जीव से पहले आकर,बना प्रकृति उदभव था,
      वृक्षों के गुणगान सदा हम क्षण प्रतिक्षण दोहरायेंगे,
      वृक्ष लगाकर हम धरती को स्वर्ग बनायेंगे ।

      हर्रा और बहेरा,आँवला, नीम,अमरबेल,तुलसी,
      अमृत रूपी जड़ी-बूटियाँ हमको वृक्षो से मिलती,
      लाख,गोंद और रबर से लेकर आम,संतरा, लीची,
      वातावरण सुगंधित होता,रातरानी जब खिलती,
      गेंदा और गुलाब,चमेली घर-घर हम महकायेंगे,
      वृक्ष लगाकर हम धरती को स्वर्ग समान बनायेंगे ।

      वर्षा आये लगातार तो कट जायेगी ये धरती,
      धूप तपे प्रतिदिन, निश्चित फट जायेगी ये धरती,
      वृक्ष मात्र के कारण इनसे बच पायेगी ये धरती,
      सुन्दर दृश्यों की आभा से पट जायेगी ये धरती,
      सुख,शान्ति और वैभव के झोंके हम सदा बहायेंगे,
      वृक्ष लगाकर हम धरती को स्वर्ग बनायेंगे ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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