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      || प्रदूषित वातावरण ||

      प्रदूषित वातावरण

      हो रहा ज्यों-ज्यों प्रदूषित आना वातावरण है,
      बढ़ रहा विनाश की तरफ हमारा चरण है ।

      ओजोन रक्षा छतरी में हो चुका जो छिद्र है,
      वर्षा की जगह आम्ल वर्षा ले रही अवतरण है ।

      बम रासायनिक बना रहे हैं बड़े देश सब,
      कर रहे सब छोटे देश उन्हीं का अनुकरण हैं ।

      जल रहें हैं तेल कुएं धू-धू अरब देश के,
      बढ़ रहा है तापक्रम और बढ़ रही है तपन है ।

      पर्वतों की बर्फ जो पिघल रही है लगातार,
      डूबते सागर किनारे इसी का उदाहरण है ।

      जानते हैं सब है संकट बहुत बड़ा सामने,
      शनैः-शनैः आदमी का पतन है, मरण है ।

      वृक्ष,हरियाली और प्रकृति रक्षा का हो एक ध्येय,
      अन्यथा मनुष्यता बस शोलों की ही शरण है ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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