सर्दी
सर्द लहर से प्रकृति मे, ठंड प्रबल बढि जाय ।
जीव-जंतु व्याकुल दिखे, जन जीवन घबडाय ।।
बर्फ गिरे कुहरा बढे, पुरुवा बहे समीर ।
कँपकँपाय अवनी सुनो, तरुवर दिखे अधीर ।।
दैनिक कर्मों मे सभी, कष्ट करें अनुमान ।
जाड़ा अति सबके लिए, लगता मौत समान ।।
पाला, कुहरा जब गिरे, सुनो शीत के काल ।
सरसों, मटरा, आम की, हालत हो बेहाल ।।
बहुत लाभ है ठंड से, कछु हानि भी यार,
फसलों हित जीवन बनें, भरें अन्न भंडार ।।
लेखक
राकेश तिवारी
“राही”
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