More
    40.6 C
    Delhi
    Sunday, May 19, 2024
    More

      || दुनिया ||

      दुनिया

      रंग-बिरंगी इस दुनिया मे, काफी कुछ घोटाले है।
      दूर के ढोल सुहाने लगते, लेकिन खेल निराले है।।

      दुनिया के हर पहलू झाँको, कदम- कदम पे गड्ढे है।
      धोखाधड़ी बिछी है पग-पग, बहुरुपियो के अड्डे है।।
      अधरो पर मुस्कान बिखेरे, कर्म करे वो काले है।
      दूर के ढोल सुहाने लगते, लेकिन खेल निराले है।।

      हर समाज मे ठेकेदारी और दलाली है भाई
      आफिस हो या कारोबारी, छीना-झपटी है छाई।।
      भोले-भाले इंसानों के बनते काम बिगाडे है।
      दूर के ढोल सुहाने लगते, लेकिन खेल निराले है।।

      इस दुनिया मे आकर जिसने, दुनियादारी न सीखी।
      भला-बुरा और हित-अनहित पर, नजर पारखी न फेकी।।
      उनके जीवन पथ पे काँटे, बिछे कँटीले वाले है।
      दूर के ढोल सुहाने लगते, लेकिन खेल निराले है।।

      लेखक
      राकेश तिवारी
      “राही”

      READ MORE POETRY BY RAHI JI CLICK HERE

      ALSO READ  सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए करें ये उपाय | रविवार का व्रत करने से पूरी होती है सभी मनोकामना | 2YoDo विशेष

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,833FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles