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      || करती है संघर्ष माँ | KARTI HAI SANGHARSH MAA ||

      करती है संघर्ष माँ

      जब से लेता जन्म बच्चा करती है संघर्ष माँ,
      कुछ बड़ा होने पर उसका बनती है आदर्श माँ ।

      नींद ना आने पर उसको लोरी भी सुनाती है,
      और कभी बिजली जो कौंधी सीने से लगाती है ।
      सोच तक पाती ना कैसे बीत जाते वर्ष माँ,
      जब से लेता जन्म बच्चा करती है संघर्ष माँ ।

      स्कूल जब जाता है बच्चा स्वयं छोड़ आती है,
      स्नान,बस्ता और डिब्बा भोर से लगाती है ।
      लौटता है स्कूल से तो व्यक्त करती हर्ष माँ,
      जब से लेता जन्म बच्चा करती है संघर्ष माँ ।

      स्कूल का गृहकार्य करवाती है और पढ़ाती है,
      पास होने पर वो बड़े स्नेह से सहलाती है ।
      रक्षा करती इस तरह ज्यों धरती पर हो अर्श माँ,
      जब से लेता जन्म बच्चा करती है संघर्ष माँ ।

      देख मुखड़ा समझ जाती आयेगा बच्चे को ज्वर,
      डॉक्टर से भी पहले ही हो जाती है उसे खबर ।
      कहाँ ठहर पाये पीड़ा,करती है जब स्पर्श माँ,
      जब से लेता जन्म बच्चा करती है संघर्ष माँ ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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