पधारे राम अवध में
जलाओ दीप खुशियों के बनाओ द्वार रंगोली
पधारे राम अवध में आओ खेलें फूल की होली
कोई रोके नहीं इनको कोई टोके नहीं इनको
ये सब हैं राम मतवाले है मस्तानों की ये टोली
कड़ी राहों पे चलकर सब अयोध्या धाम पहुंचे हैं
सजा कर लाए हैं आंखों में प्रभु राम की डोली
ये सरजू का किनारा और दीवानों का ये मेला
सभी दर्शन से भरने आये हैं आशाओं की झोली
कोई उत्तर से आया है कोई दक्षिण से आया है
किसी की श्रद्धा में चंदन किसी की भक्ति में रोली
सभी इक दूसरे के साथ दर्शन के हैं अभिलाषी
सभी की अपनी भाषाएँ सभी की अपनी है बोली
जलाओ दीप खुशियों के बनाओ द्वार रंगोली
पधारे राम अवध में आओ खेलें फूल की होली
लेखिका
नुसरत जहाँ अतीक़ गोरखपुरी
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