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माँ में तेरी सोनचिरैया | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY 2YODOINDIA POETRY

|| बेटी इन वस्त्रों में ||

बेटी इन वस्त्रों में अच्छा ना लगता नारीत्व तुम्हारा,
लगती मैली नारी गरिमा और दूषित व्यक्तित्व तुम्हारा,


इतने तंग वस्त्रों में उचित न हो पाता है रक्त संचार,
इन्हें उचित बतला पाओ तुम नहीं है कुछ इसका आधार,


ऊपर से खतरे में रहता है हर पल अस्तित्व तुम्हारा,
बेटी इन वस्त्रों में अच्छा ना लगता नारीत्व तुम्हारा,


सगे भाई के सम्मुख जाने में भी झेंप लगेगी तुमको,
उसे भी लज्जा का अनुभव,तो शायद देख लगेगा तुमको,


नहीं लाज से गड़ जायेगा पृथ्वी में बहनत्व तुम्हारा,
बेटी इन वस्त्रों में अच्छा ना लगता नारीत्व तुम्हारा,


किसी सार्वजनिक स्थल पर पति के साथ अगर जाओगी,
सारी आँखें अपने पर ही केन्द्रित क्या तुम न पाओगी,


साथ पति के शर्मिंदा होगा तुमपर पत्नीत्व तुम्हारा,
बेटी इन वस्त्रों में अच्छा ना लगता नारीत्व तुम्हारा ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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